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India Daily

MiG-21 Explainer: अलविदा... मिग -21! "उड़ता ताबूत" के उपनाम से लेकर F-16 को मार गिराने वाले 60 साल के "योद्धा" की कहानी

Mig-21 Explainer: आठ अक्टूबर की शाम जब सूरज अपने ढलान पर होगा तब भारतीय वायुसेना का विमान मिग-21 आखिरी बार वायुसेना की परेड में हिस्सा लेगा. दशकों की ऐतिहासिक विरासत संभाले हुए इस युद्धक विमान को हवा में ही दो विमानों के जरिए सलामी दी जाएगी.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
MiG-21 Explainer: अलविदा... मिग -21! "उड़ता ताबूत" के उपनाम से लेकर F-16 को मार गिराने वाले 60 साल के "योद्धा" की कहानी

MiG-21 Explainer:  14 फरवरी 2019  दुनिया वैलेंटाइन डे के मौके पर प्यार बांट रही थी, लेकिन जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के मंसूबे कुछ और थे. 

सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर आतंकी हमला हुआ हमारे 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए. देश गुस्से में बदला चाह रहा था. बदला उस दुश्मन से जिसने सीमा पार से जैश -ए - मुहम्मद के आतंकियों को इस खौफनाक काम के लिए भेजा था.

 तारीख बदलती है 26 फरवरी. भारतीय सेना के जाबांज अपने सिर पर कफन बांधते हैं और फिर होता है बालाकोट का एयर स्ट्राइक. पाकिस्तान दुनिया के सामने शर्मसार हो जाता है अपनी आतंकी हरकत के लिए, बदले के लिए वो अपने लड़ाकू विमान भारतीय सीमा की तरफ भेजता है. 

इरादा एलओसी के पास कुछ हरकत करने का था. एफ -16 के उड़ने की जानकारी भारतीय वायुसेना को लगती है. उसके जाबांज आसमान का सीना चीरते हुए अपने फाइटर प्लेन में देश को बचाने के लिए निकल पड़ते हैं. थोड़ी देर बाद खबर आती है भारत ने पाकिस्तान के अत्याधुनिक विमान एफ 16 को मार गिराया है. 

 एफ - 16 को आसमान में ढेर करने वाला ये फाइटर 60 साल का बूढा योद्धा था. इसका नाम था मिग 21 बाइसन. इस फाइटर को उस दिन उड़ा रहे थे तत्कालीन विंग कमांडर अभिनंदन.. बाकी क्या हुआ वो इतिहास है हमें आपको बताने की जरुरत नहीं है. 

अब कैलेंडर को पीछे पलटते हैं. चलते हैं 2006 में . एक फिल्म रिलीज होती है देश के नौजवानों ने इस फिल्म को खूब बहुत पसंद किया था. नाम था रंग दे बसंती. इसमें आमिर खान समेत कई हीरो थे. उसमें से एक हीरो था आर माधवन. फिल्म में माधवन की मौत हो जाती है. आप जानते हैं कैसे? 

वो मिग 21 विमान का फाइटर पायलट था. फिल्म में सवाल उठे विमान की क्वालिटी और  उसकी ट्रेनिंग के साथ साथ भ्रष्टाचार को लेकर.  इस सवाल के पीछे एक पृष्ठभूमि थी. एक बदनामी थी. जिस मिग के शौर्य और पराक्रम के चलते कभी हिंदुस्तान का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था उसी मिग के इतने क्रैश हुए कि इस विमान को उड़ता ताबूत यानी कि फ्लाइंग कॉफीन या विडो मेकर का उपनाम तक मिल गया. इस साल भी 8 मई को राजस्थान के हनुमानगढ़ में मिग -21 का क्रैश हो गया था. जिसमें दो पायलटों और एक नागरिक की मौत हो गई थी.


अब ये मिग -21 बाइसन 8 अक्टूबर 2023 को आखिरी बार वायुसेना दिवस के मौके पर रॉफेल, सुखोई -30, मिराज, जगुआर जैसे हवाई योद्धाओं के साथ आसामन का सीना चीरने के लिए उड़ान भरेगा. ऐसे में हिन्दुस्तान की इस शान को इंडिया डेली लाइव की सलामी तो बनती ही है.

 

दुश्मनों को घुटने टेकने पर किया मजबूर

भारतीय वायुसेना के इस लड़ाकू विमान ने कई अहम मौकों पर गेम चेंजर की भूमिका निभाई है. जब भारत आर्थिक तौर पर न तो मजबूत था न तकनीकी तौर से सक्षम. 

भारत अपने खाने की जरूरतों के लिए भी अमेरिका जैसे देशों की दया पर निर्भर था. चीन के साथ 1962 में भारतीय वायुसेना की कमजोर कड़ियां दुनिया के सामने आई. उसके बाद भारत ने जोर दिया अपनी हवाई सुरक्षा की जरूरतों पर.

 भारत ने रुख किया अपने सबसे भरोसेमंद दोस्त सोवियत रूस का. उसने भी अपने दोस्त की जरूरतों को समझा और भारत के साथ उस समय के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान और उसकी तकनीक को भारत के साथ साझा करने के लिए तैयार हो गया. 

भारत की कोशिश और सोवियत रूस की मदद ने मिग-21 को भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनाया. तब से लेकर अब तक इस विमान से जुड़ी अनगिनत खट्टी-मीठी यादें हैं. 

1971 में भारतीय मिग-21 ने चाइना के चेंगडू एफ विमान को मार गिराया था. 1971 की जंग में मिग-21 फाइटर प्लेन ने पाक को भारतीय जमीन पर बढ़ने तक का मौका नहीं दिया. मिग विमानों ने पाक फौजों को काफी नुकसान पहुंचाया. 1971 की पूरी जंग में भारत का सिर्फ एक मिग-21 बर्बाद हुआ जबकि पाक के कुल 13 फाइटर जेट बर्बाद हो गए.
 

1999 की कारगिल लड़ाई में भी इस फाइटर जेट की भूमिका बेहद अहम रही. भारतीय वायुसेना के ये विमान पाक घुसपैठियों के ऊपर जमकर कहर ढा रहे थे. भारतीय वायुसेना ने मिग-21, मिग-23, मिग-27 फाइटर प्लेन के साथ पाक घुसपैठियों के ठिकानों, गोला-बारूद और रसद भंडार को तबाह कर दिया था. इन विमानों के हमलों से पाक सेना की कमर तोड़ दी थी और उसे भारत के सामने घुटनों के बल बैठने को मजबूर कर दिया था.

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एक नजर मिग-21 पर

सोवियत काल का सुपरसोनिक फाइटर जेट मिग-21 एक इंटरसेप्ट एयरक्राफ्ट भी है. 

सुपरसोनिक जेट वह होता है जिसकी रफ्तार साउंड यानी ध्वनि से ज्यादा होती है. वहीं इंटरसेप्ट एयरक्राफ्ट वह होता है जो अटैकर को बीच में ही रोक दे, यानी खतरे को पहले ही इंटरसेप्ट कर ले.

 भारत ने इस फाइटर जेट का सौदा साल 1963 में किया था. इसे सोवियत डिजाईन ब्यूरो ने बनाया था. इसी वजह से इसका नाम मिग (MiG) पड़ा. वर्ष 2006 में इसके उन्नत संस्करण को शामिल किया गया. 

इस विमान में बेहतर तकनीकी उपकरण, शक्तिशाली रडार, युद्ध सामग्री की एक चेन,लॉजिस्टिक क्षमताओं को जोड़ा गया. इसके संशोधित संस्करण को नाम दिया गया बाइसन. 

मिग-21 बाइसन. छह दशक से भी ज्यादा पुराने मिग-21 के चार सक्रिय स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना की सेवा में हैं. मिग-21 को भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारत ने 870 से ज्यादा मिग-21 विमान खरीदे हैं.

फिलहाल इनका उपयोग केवल इंटरसेप्टर के रूप हो रहा है. इनका प्रयोग लड़ाकू गतिविधियों में कम जबकि प्रशिक्षण अभ्यास के लिए ज्यादा हो रहा है.


इन दो इंजीनियरों की जिद ने किया 'मिग' कारनामा

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दरअसल वह दौर था 1939 का. जब पूरी दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध की भीषण विभीषिका झेल रही थी. उस समय दुनिया के दो सबसे ताकतवर मुल्कों रूस और अमेरिका आकाश में अपनी ताकत और हवाई क्षमताओं की बढ़ाने की कोशिशों में लगे थे.

सोवित संघ रूस के लिए यह जिम्मेदारी दो एयरक्राफ्ट इंजीनियरों को दी गई. उनका नाम था आर्टेम मिकायॉन और मिखाइल गुरेविच. सोवियत संघ रूस ने विमान बनाने वाली कंपनी का नाम रखा मिग.

यह दोनों नाम इन्हीं इंजीनियरों के नामों से निकले. मिकोयान से 'M' और गुरेविच से 'G'. इस तरह इस विमान का नाम रखा गया मिग. जिसमें बीच में रखे गए 'i' का मतलब होता है 'और'. दरअसल रूसी भाषा में अंग्रेजी के दो अक्षरों के बीच 'i' का मतलब 'और' ( and) होता है. 

इन इंजीनियरों की जिद ने महज एक साल की कड़ी मेहनत की बदौलत 1940 में ही मिग-1 और मिग-3 फाइटर जेट तैयार कर लिए. इस तरह मिग-21 का फुल फॉर्म होता है मिकायॉन-गुरेविच मिग-21.


इसकी क्या है खासियत

मिग-21 विमान  60 के दशक में सबसे तेज गति से उड़ान भरने वाला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था. इसका प्रयोग दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है. यह विमान भारतीय वायुसेना के अलावा कई अन्य देशों की वायुसेनाओं में अपनी सेवाएं दे रहा है.

 मिग-21 एक लाइट सिंगल पायलट फाइटर जेट है. जबकि मिग-21 बाइसन इसका संशोधित उन्नत संस्करण. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस विमान को एविएशन के इतिहास में निर्माण किया जाने वाला सबसे सुपरसोनिक फाइटर जेट माना जाता है.

इसकी अब तक 11496 युनिट्स का निर्माण किया जा चुका है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश भी इस विमान का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वर्तमान समय में सिर्फ भारत , क्यूबा और अंगोला जैसे 16 देश ही इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.


सोवियत रूस ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे ताकतवर विमान 


सोवियत के आसमान में पहले सुपरसोनिक विमान ने उड़ान भरी इसका नाम रखा गया MIG-21. इन विमानों की रफ्तार 2229 किमी प्रति घंटा थी. 

इसकी रफ्तार ध्वनि से लगभग 1 हजार किमी ज्यादा थी. रूस की हवाई सुरक्षा में यह विमान अहम कड़ी थे. 1959 में मिग-21 सुपरसोनिक फाइटर जेट रसियन एयरफोर्स फ्लीट का हिस्सा बन गया. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह विमान उस समय सिर्फ रूसी एयरफोर्स का ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान था.


हासिल करने के लिए मोसाद ने चलाया ऑपरेशन डायमंड

सेंटर फॉर इजरायल एजुकेशन के मुताबिक, यह विमान उस समय दुनिया का सबसे ताकतवर विमानों में से एक था. इसके कारनामों को देख दुनियाभर के मुल्क हैरान थे. अमेरिका, इजरायल जैसे देश किसी भी हाल में इसकी तकनीक जानना ताहते थे.

 रूस ने यह विमान ईराक और मिस्र को दिए थे.इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने जीन थॉमस के नेतृत्व में मिग-21 को किडनैप करने के लिए ऑपरेशन डायमंड चलाया.

दो बार यह ऑपरेशन असफल रहा. बाद में इजरायली खुफिया एजेंसी की महिला ने इराकी पायलट मुनीर रेड्फा को अपने प्यार में फंसाकर इस विमान को इजरायली सीमा में प्रवेश कराने में सफलता पा ली थी. इस तरह इजरायल और अमेरिका इस विमान की तकनीक को चुराने में कामयाब रहे. 

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संशोधित संस्करण बाइसन

मिग-21 बाइसन, भारतीय वायुसेना के 7 लड़ाकू विमानों में से एक हैं. यह सिंगल सीटर, सिंगल इंजन मल्टी रोल फाइटर प्लेन है. इसकी मैक्सिमम स्पीड 2230 किमी प्रति घंटा है. 

इस फाइटर प्लेन के अंदर 23 मिमी की ट्विन बैरल तोप होती है जिसमें 4 आर 60 ( R-60 ) क्लोज कॉम्बैट मिसाइल होती हैं. क्लोज कॉम्बैट से आशय है कि ऐसा कोई वेपन जिसकी मदद से करीब से लड़ा जा सके.

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अमेरिकी एयरफोर्स के कर दिए दांत खट्टे

वियतनाम वॉर के दौरान वियतनाम की तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार की ओर से लड़ते हुए अमेरिकी एयरफोर्स के छक्के छुड़ा दिए थे.

हालात यह हो गए थे कि अमेरिका को एक मिग-21 फाइटर जेट को रोकने के लिए अपने 6-6 फाइटर जेट की तैनाती करनी पड़ी थी. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि जिस इलाके में कम्युनिस्ट सरकार के मिग-21 विमान उड़ान भरा करते थे, अमेरिका उस इलाके में भूलकर भी अपना कोई हेलीकॉप्टर नहीं भेजता था. 

हालांकि अमेरिका ने अपनी घातक मिसाइलों के कारण कई मिग-21 विमानों को भी मार गिराया था.


मिग-21 क्रैश ने ली अब तक सैकड़ों जानें, क्या है वजह

मिग-21 विमान रूस की ओर से निर्मित एक पुराना फाइटर जेट है. इसका इंजन काफी ज्यादा पुराना है. इसके साथ ही इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक भी बेहद पुरानी है. यह सिंगल इंजन वाला प्लेन होने की वजह से इसमें जल्दी आग लग जाती है.

भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विभाग (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि इस विमान में इंजन, एयर फ्रेम, फ्लाई-बाय एयर वायर सिस्टम में खामियां हैं. 

भारतीय वायुसेना के सभी फाइटर विमानों की तुलना में मिग-21 के क्रैश होने की संख्या सबसे ज्यादा है.कई रिपोर्टों में बताया गया कि इस विमान की विंडो की डिजाइन में कुछ कमियां हैं. जिस वजह से यह क्रैश हो जाते हैं.

मिग-21 के लगातार हादसों के कारण इस विमान को फ्लाइंग कॉफिन यानी उड़ता ताबूत कहा जाता है.


कब-कब क्रैश हुए मिग-21

मिग-21 के क्रैश होने का लंबा इतिहास रहा है. भारतीय वायुसेना में शामिल होने के 60 सालों के बाद यह विमान 500 से ज्यादा बार हादसे का शिकार हो चुका है. इन हादसों में लगभग 200 पायलट शहीद हो गए, जबकि 60 नागरिकों ने भी अपनी जान गंवा दी. इस कारण इसे उड़ता हुआ ताबूत के नाम से जाना जाता है. 

साल 2021 में देश के पूर्व रक्षा मंत्री ए.के एंटनी ने एक बयान  जारी कर कहा था कि इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा बनने के बाद से लेकर साल 2012 तक 482 मिग-21 हादसे के शिकार हो चुके हैं. इन हादसों में 39 नागरिक, 171 पायलटों की जान गई थी.

 2013 में दो, 2014 में तीन, 2015 में दो, 2016 में तीन, 2017 में कोई नहीं, 2018 में दो, 2019 में तीन, 2021 में पांच, 2022 में एक मिग विमान हादसे का शिकार हुए हैं. 

2022 में गोवा कोस्ट पर नेवी का एक मिग-29K विमान क्रैश हो गया था. इस दौरान जैसे-तैसे पायलट ने खुद को सुरक्षित इंजेक्ट करने में सफलता पा ली थी.

इस साल 8 मई सोमवार को भारतीय वायुसेना का यह विमान क्रैश होकर एक रिहायशी इलाके में जा गिरा. इस हादसे में 3 महिलाओं की जान चली गई. विमान चला रहे दोनों पायलटों ने बमुश्किल खुद को इजेक्ट करने में कामयाब रहे थे.  

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मिग-21 के हाल ही में क्रैश होने की घटनाएं

- 28 जुलाई 2022 में राजस्थान के बाड़मेर जिले में एक ट्रेनिंग उड़ान के दौरान मिग-21 विमान क्रैश हुआ. जिसमें दो पायलट- विंग कमांडर एम राणा और फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्विटिया बल की मौत हो गई थी.

- 24 दिसंबर 2021:  राजस्थान के जैसलमेर में मिग-21 क्रैश हुआ. इस क्रैश में विंग कमांडर हर्षित सक्सेना शहीद हो गए थे.

- 12 अक्टूबर 2022: नेवी का मिग 29 का लड़ाकू विमान गोवा तट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया. हादसे में पायलट की जान बाल-बाल बच पाई.

- 25 अगस्त 2021: राजस्थान के बाड़मेर जिले में मिग-21 'बाइसन' हादसे का शिकार हुआ. पायलट सुरक्षित बच गए.

- 12 मई, 2021: राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरने के बाद पंजाब में मोगा में मिग-21 बाइसन के दुर्घटनाग्रस्त होने से 28 साल के स्क्वाड्रन लीडर अभिषेक चौधरी की मौत हो गई थी.

- 17 मार्च 2021: ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरने के बाद मिग-21 के दुर्घटनाग्रस्त होने से ग्रुप कैप्टन आशीष गुप्ता की मौत हो गई.

- 5 जनवरी, 2021: राजस्थान के सूरतगढ़ में एक मिग 21 बाइसन हादसे का शिकार हो गया. इसमें जैसे-तैसे पायलट अपनी जान बचाने में सफल रहा.


सुरक्षा चिंताएं... फिर भी सेवाएं लेना जारी

भारत में मिग -21 को 1960 के दशक में इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था और 1990 के दशक के मध्य में रिटायर होने के बावजूद इसे बार-बार अपग्रेड किया जाता रहा है. 

अक्टूबर 2014 में एयरचीफ मार्शल ने कहा था कि पुराने विमानों को सेवा से हटाने में देरी से भारत की सुरक्षा को खतरा है क्योंकि इस बेड़े के कुछ हिस्से पुराने हो चुके हैं. 

रक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि नए फाइटर जेट को भारतीय वायुसेना में शामिल करने क देरी के कारण मिग को लंबे समय तक सेवाओं में रखना पड़ा.

 इन विमानों के लंबे समय तक सेवाओं में रहने के प्रमुख कारण स्वदेशी तेजस कार्यक्रम में देरी, राफेल का राजनीतिक विवाद और फंड की कमी होना हैं. इन वजहों से मिग -21 अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी सेवाएं दे रहा है. यह भारतीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है.


फ्लाइंग कॉफिन और विडो मेकर का नाम कैसे मिला?

इंडियन एयरफोर्स की रीढ़ की हड्डी रहा यह विमान तमाम हादसों के वजह से बदनाम भी रहा है. डिफेंस मिनिस्ट्री के एक आंकड़े के मुताबिक इन विमानों के सुरक्षा रिकॉर्ड की जांच की गई थी.

 इन हादसों में 170 से ज्यादा पायलट मारे गए थे. दुर्घटनाओं की बड़ी तादाद के कारण इसे फ्लाइंग कॉफिन माने उड़ता ताबूत और विडो मेकर ( Widow maker) के नाम से बुलाया जाता है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद से यह विमान 500 से ज्यादा बार हादसों का शिकार हो चुका है. आपक बता दें कि पहली मिग दुर्घटना 1963 में शामिल होने के कुछ महीनों बाद हुई थी. उसके बाद से इसके क्रैश होने की घटनाओं का सिलसिला थमा नहीं.


हादसे पर हादसे फिर भी एक ही विकल्प क्यों बना रहा मिग-21

सोवियत संघ रूस के यह विमान पहले रूस में ही बनते थे. भारत ने बाद में इन्हें बनाने का अधिकार और तकनीक भी रूस से हासिल कर ली. जिसके तहत 1967 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ( HAL) लाइसेंस के तहत इनका निर्माण करना शुरू कर दिया. 

रूस ने 1985 में ही इन विमानों का उत्पादन बंद कर दिया और सेवाओं से हटा दिया. हालांकि भारत इसके अपग्रेडेड वर्जन का इस्तेमाल अब तक कर रहा है.  रूस के इसे सेवा से हटाने के बाद बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों ने भी इसकी सेवाएं लेनी बंद कर दी. 

इंडियन एयरफोर्स के कई अधिकारी मिग-21 की बेहतरीन सुरक्षा रिकॉर्ड की पुष्टि करते हैं. अधिकारी बताते हैं कि पूर्व एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और वी एस धनोआ ने वायुसेना प्रमुख के पद पर रहते हुए मिग-21 को अकेले उड़ाया है.

 सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज ( CAPS ) के डायरेक्टर जनरल एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने द प्रिंट को बताया कि मिग-21 बाइसन का विकसित फाइटर जेट है. यदि उसके सेवा के सालों और उड़ान के घंटों को देखा जाए तो वास्तव में इस फाइटर प्लेन का  सुरक्षा रिकॉर्ड बेहद शानदार रहा है. 

भारत की पाक के ऊपर बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाक एयरफोर्स के सबसे उन्नत लड़ाकू विमान एफ-16 को मार गिराया था. यह अब तक शोध का विषय बना हुआ है कि कैसे 60 साल पुराना लड़ाकू विमान पाक एयरफोर्स के सबसे शानदार लड़ाकू विमान को मात दे गया.

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एलसीए तेजस लेंगे अब जगह..

वायुसेना प्रमुख वी आर चौधरी ने बीते मंगलवार को मिग-21 की विदाई का एलान करते हुए कहा कि हम 2025 तक मिग-21 विमानों को उड़ाना बंद कर देंगे. वायुसेना प्रमुख ने इस दौरान कहा कि इनकी जगह एलसीए तेजस विमान लेंगे. अगले महीने मिग-21 स्क्वाड्रन का नंबर आयेगा और धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से हम इसे प्रयोग करना बंद कर देंगे. 

भारतीय वायुसेना के पास अभी चार मिग-21 स्क्वाड्रन हैं. प्रत्येक स्क्वाड्रन में 16-18 फाइटर जेट शामिल हैं. सदन की कार्यवाही के दौरान रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा था कि हम तेजस को मिग-21 के स्थान पर नहीं बल्कि भारतीय वायुसेना के मॉडर्नाइजेशन के रूप में शामिल कर रहे हैं.

 

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