Weather Updates: देश के कई शहरों में टेम्प्रेचर 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है और जल्द ही इसके 40 डिग्री सेल्सियस को पार करने की संभावना है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ओर से आने वाले दिनों में भयंकर गर्मी और हीटवेब यानी लू की भविष्यवाणी की गई है.
IMD के डायरेक्टर जनरल यानी महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा है कि अधिकांश राज्यों में अप्रैल से जून तक सामान्य से अधिक तापमान रहेगा. खासकर मध्य भारत में मई-जून में सबसे अधिक गर्मी की उम्मीद है और इस दौरान लू चलने की भी संभावना है.
ये चेतावनी ऐसे समय में आई है जब संयुक्त राष्ट्र (UN) के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization) ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि एशिया और भारत समेत दुनिया भर में पिछले साल गर्मी के रिकॉर्ड टूटने के बाद 2024 में भी बढ़ा टेम्प्रेचर दर्ज किया जाएगा.
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन की चेतावनी के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि भारत में तेजी से बदली मौसमी घटनाएं देखी जा रहीं हैं. उन्होंने कहा कि जैसा कि आने वाले तीन महीनों में अत्यधिक गर्मी का अनुमान है, इससे निपटने के लिए विस्तृत तैयारी की गई है.
IMD के अनुसार, हीटवेव तब होती है जब सामान्य से ऊपर का तापमान औसत तापमान से 4.5℃ अधिक होता है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) के सेक्रेटरी एम रविचंद्रन की ओर से पिछले साल 26 अप्रैल को Heat and Cold Waves in India: Processes and Predictability नाम से जारी एक पेपर में दिखाया गया था कि हीट वेब मुख्य रूप से दो क्षेत्रों में होती हैं. इनमें मध्य और उत्तर-पश्चिमी भारत और तटीय आंध्र प्रदेश शामिल है.
1961 से 2021 के बीच ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत में गर्मी का कहर लगभग 2.5 दिन बढ़ गया. एम रविचंद्रन की ओर से जारी पेपर में सुझाव दिया गया है कि मध्य और उत्तर-पश्चिमी भारत में बढ़ती हीटवेव को देखते हुए, 12-18 दिनों तक दो हीटवेव और हीटवेव में बढ़ोतरी होगी.
उदाहरण के लिए, भारत में मार्च से मई 2022 तक 280 हीटवेब वाले दिन दर्ज किए गए, जो 12 वर्षों में सबसे अधिक है. 2022 में पांच राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और हरियाणा) में हीटवेब का 54% हिस्सा था.
भारत में 2014 से 2023 तक का दशक अब तक का सबसे गर्म दशक रहा. इस दौरान वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 425 PPM की नई ऊंचाई पर पहुंच गया. MoES के 2020 के आकलन के अनुसार, देश में 1950 के बाद से प्रति दशक 0.15 डिग्री सेल्सियस की महत्वपूर्ण औसत तापमान वृद्धि देखी गई है.
पिछले साल मई में, वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन बैनर के तहत जलवायु वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम की एक रिपोर्ट से पता चला कि जलवायु परिवर्तन ने भारत और बांग्लादेश में अप्रैल 2023 में हीटवेब को 30 गुना अधिक संभावित बना दिया है.
भारत में मौसम की स्थिति पर नज़र रखने वाले वैज्ञानिकों ने कहा कि जून-अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनती है, तो फिर पिछले साल की तुलना में 2024 में बेहतर मानसून हो सकता है. उन्होंने कहा कि अल नीनो अपने विकास के दूसरे वर्ष यानी वर्ष 2024 में वैश्विक जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.
पिछले आंकड़ों से संकेत मिलता है कि पिछले अल नीनो के कारण मुख्य रूप से भारत में मानसूनी बारिश कम हुई है. इससे गंभीर सूखे की स्थिति और तापमान में वृद्धि हुई. फिलहाल, भारतीय मानसून पर अल नीनो का प्रभाव अनिश्चित बना हुआ है. इससे संभावित रूप से दक्षिणी भारत में अत्यधिक बारिश जबकि उत्तर भारत में सूखे का सामना करना पड़ सकता है.