Heatwave PowerCut: भारत ने बिजली उत्पादन क्षमता में काफी वृद्धि की है. इसका नतीजा है कि एक माह में तय बिजली खर्च 235 GW के लक्ष्य को पार करने के बाद भी लोगों को बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ा. भारत में पिछले माह बिजली की मांग 250 गीगावाट तक पहुंच गई. इसके बाबजूद भी कहीं से पॉवरकट या ब्लैक आउट की खबरें नहीं आईं. बिजली के प्रवाह को नियंत्रित करने वाले नेशनल ग्रिड डिस्पैचर का कहना है कि वे आने वाले महीनों में 258 गीगावाट की अधिकतम बिजली की आपूर्ति के लिए तैयारी कर रहे हैं.
भारत में 30 और 31 जुलाई 2012 को दुनिया का सबसे बड़ा ब्लैक आउट का सामना किया था. भारत के उत्तरी और पूर्वी पावरग्रिड बिजली की ज्यादा ओवरलोड की वजह से नष्ट हो गए थे. यह ब्लैकआउट लगभग 13 घंटे तक चला था जिसके कारण 620 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे. इस ब्लैकआउट के बाद भारत ने अपने बिजली नेटवर्क को बेहतर बनाया है. इस ब्लैक आउट हादसे के बाद भारत ने अपने ट्रांसमिशन नेटवर्क को दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत पावर ग्रिड में बदल दिया है. इस वजह से नेशनल डिस्पैचर पावर ग्रिड जरूरत के हिसाब से बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करता है और ओवरलोड न हो यह सुनिश्चित करता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रिड इंडिया के चेयरमैन एसआर नरसिम्हन ने कहा चीजें एक दिन में आसान नहीं होतीं. ट्रिपिंगस फ्रीक्वेंसी, वोल्टेज, लाइनों और ट्रांसफार्मर की लोडिंग क्षमता का विश्लेषण करने के बाद ही कोई निर्णय लेना होता है. ओवरलोड को लेकर हम बेहद चौंकन्ने हैं, हम नहीं चाहते फिर से उस तरह के हादसे हों.उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के ओवरलोड को लेकर बार-बार जांच की जाती है, उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाता है.
नरसिम्हन ने कहा कि सोलर और पवन उर्जा की मदद से बिजली की हाई डिमांड को पूरा करने में हम सक्षम हैं. साल 2012 में ब्लैकआउट की बड़ी वजह ओवरड्राल का होना था. इसके अलावा नेशनल और स्टेट डिस्पैचर्स के बीच मनमुटाव भी बड़ी वजह था, जिसे अब सुलझा लिया गया है. उन्होंने कहा कि ओवरड्राल आमतौर पर 30 मिनट से लेकर एक घंटे तक अप्रत्याशित स्थिति में होते हैं.