Operation Sindoor: रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को ऐलान किया कि ऑपरेशन सिंदूर को असममित युद्ध के बढ़ते खतरों के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें सैन्य कर्मियों और निहत्थे नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा था. यह ऑपरेशन स्वदेशी उन्नत तकनीक का उपयोग कर आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमलों का एक शानदार उदाहरण है, जो भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता को दर्शाता है.
रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत की प्रतिक्रिया सटीक और रणनीतिक थी. नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना, भारतीय सेना ने आतंकवादी ढांचे पर हमला किया और कई खतरों को खत्म कर दिया. हालांकि, सामरिक प्रतिभा से परे, जो बात सबसे अलग थी, वह थी राष्ट्रीय रक्षा में स्वदेशी हाई-टेक प्रणालियों का निर्बाध एकीकरण।' इस ऑपरेशन ने ड्रोन युद्ध, वायु रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित किया है.
पाकिस्तानी हमले का विफल प्रयास
7-8 मई की रात को पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों के जरिए अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलौदी, उत्तरलाई और भुज जैसे स्थानों पर हमले की कोशिश की. हालांकि, भारत की एकीकृत काउंटर यूएएस ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने इन हमलों को तुरंत निष्प्रभावी कर दिया. मंत्रालय ने बताया, "ऑपरेशन सिंदूर के हिस्से के रूप में पिकोरा, ओएसए-एके और एलएलएडी तोपों जैसी युद्ध-सिद्ध वायु रक्षा प्रणालियों का प्रयोग किया गया.
सर्जिकल स्ट्राइक और तकनीकी श्रेष्ठता
8 मई की सुबह, भारतीय सशस्त्र बलों ने लाहौर सहित पाकिस्तान की कई वायु
रक्षा प्रणालियों और रडारों को निष्प्रभावी किया. मंत्रालय ने कहा, "घूमते हुए हथियारों का इस्तेमाल विनाशकारी प्रभाव के लिए किया गया, जिनमें से प्रत्येक ने दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम सहित उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों को ढूंढकर नष्ट कर दिया.' भारतीय वायुसेना ने केवल 23 मिनट में चीन द्वारा आपूर्ति की गई पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणालियों को जाम कर अपनी तकनीकी श्रेष्ठता साबित की.
स्वदेशी तकनीक का दमखम
ऑपरेशन में स्वदेशी प्रणालियों जैसे आकाश और एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मंत्रालय ने बताया, "भारतीय वायु सेना की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) ने इन सभी तत्वों को एक साथ लाकर आधुनिक युद्ध के लिए महत्वपूर्ण नेट-केंद्रित परिचालन क्षमता प्रदान की है.' इसके अलावा, बरामद विदेशी हथियारों, जैसे चीनी पीएल-15 मिसाइलें और तुर्की के यूएवी, ने भारत की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं की श्रेष्ठता को उजागर किया.