VIP Electricity Bill: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में मंत्रियों, विधायकों और सरकारी अधिकारियों के बिजली बिल न भरने के फैसले से एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है. अब लोग VIP के बिलों पर लग रहे पैसों की चर्चा कर रहे हैं कि आखिर देशभर में इनके बिल पर कितना पैसा लगता है. आइये हम दिल्ली के उदाहरण से समझते हैं अगर पूरे देश में ये फैसला लागूं किया जाता है तो कितने पैसों की बचत होगी.
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने बीते रोज कहा था कि हम जनता का पैसा VIP के बिलों के भुगतान में नहीं लगाएंगे. मैं और मुख्य सचिव एक उदाहरण स्थापित करेंगे और 1 जुलाई से अपना बिल भुगतान करना शुरू करेंगे. जुलाई 2024 से सभी लोक सेवकों को अपनी बिजली खपत के लिए भुगतान करना होगा.
देश में लोकसभा के कुल 543 सदस्य हैं. वहीं राज्यसभा के 245 सदस्य है. इसके साथ ही कुल विधायकों की बात की जाए तो उनकी संख्या 4123 है. भारत में कुल जिले 806 हैं, यहां केवल 2 VIP यानी कलेक्टर और SP मान लें तो इनकी संख्या 1612 हो जाती है.
लगभग सभी राज्य में अधिकारियों के मिले आवास की बिजली फ्री होती है. ये सारा खर्च सरकारी खजाने से जाता है.
देश मुख्यमंत्री आवास के लिए कुछ राज्यों में बिजली इस्तेमाल की सीमा फिक्स है. वहीं कुछ जगहों पर कोई सीमा नहीं है.
दिल्ली में बिजली का टैरिफ दर 401 से 500 यूनिट तक 6.50 रुपये प्रति यूनिट है. वहीं 501 से 600 यूनिट तक 8 रुपये प्रति यूनिट का रेट हैं. विधायकों, अधिकारियों के आवास में आमतौर पर 500 यूनिट से अधिक बिजली ही लगती है. ऐसे में हम इसे 8 रुपये मानकर आकलन करते हैं.
देश में राज्यसभा और लोकसभा को मिलाकर कुल 788 सांसद होते हैं. इन्हें सालाना 50 हजार यूनिट बिजली फ्री है. ऐसे में सरकारी खजाने से कुल 3 करोड़ 94 लाख यूनिट बिजली हर साल सांसदों पर खर्च होती है. यानी इसमें सरकार को 31 करोड़ 52 लाख रुपये खर्च करने होते हैं.
देश में कुल विधायकों की संख्या 4123 है. वहीं दिल्ली में विधायकों के लिए हर माह 4000 रुपये अधिकतम बिजली व्यय है. अगर देशभर के लिए इतना ही मान लिया जाए तो हर माह इसमें 1 करोड़ 64 लाख 92 हजार रुपये हर माह का खर्च आएगा. ये सालाना 19 करोड़ 79 लाख 4 हजार रुपये होता है.
देश में SP और कलेक्टरों की कुल संख्या 806 है. उनके बंगले का बिल पूरी तरह फ्री होता है. अगर ये माना जाए की इनके बंगले का बिल दिल्ली के किसी मंत्री के बराबर ही आता है. ऐसे में दिल्ली में हर माह मंत्रियों को 3 हजार यूनिट बिजली फ्री है. यानी सालाना ये 36 हजार युनिट हो जाएगी. इसपर एक व्यक्ति के लिए 2 लाख 88 हजार रुपये का बिल आएगा. यानी देशभर में जिले के केलल 2 शीर्ष अधिकारियों पर 23 करोड़ 21 लाख 28 हजार रुपये का खर्च आएगा.
सांसदों, विधायकों और जिले के महज 2 सरकारी अधिकारियों के बिजले के बिल पर कुल 74 करोड़ 52 लाख 28 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं. इसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मंत्री और केंद्र, राज्य में मंत्रालय के अधिकारियों के बिल शामिल नहीं हैं. इसमें जिले में SP और कलेक्टर के अलावा भी कोई बिल शामिल नहीं हैं.
यहां हमने दिल्ली के बिजली बिलों को आधार मानकर केवल देशभर के सांसद, विधायक और जिलों के महज दो अधिकारियों पर पर आने वाले व्यय के बारे में बताया है. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री निवास के अलावा केंद्रीय और राज्यों के मंत्रियों के साथ ही राज्य स्तरीय अधिकारियों के पास अच्छे खासे बगले होते हैं. इनके बिल काफी ज्यादा हो सकते हैं. वहीं हमने जिलों में कलेक्टर और SP दो अधिकारी ही माने हैं जबकि, हर विभाग प्रमुख को मिलाकर जिलों में कम से कम 20 अधिकारी होते ही हैं जिनके पास सरकार आवास होता है. ऐसे में देशभर में हर महीने का VIP बिजली बिल 100 करोड़ से कम नहीं होगा.