अक्सर देश के कोने-कोने से लोग बोरिया-बिस्तर बांधे और उम्मीद लिए आते हैं और इस मुंबई नगरी में अपनी किस्मत आजमाते हैं. इस शहर के आकर्षण में समुंदर के अलावा दो और खासियतें हैं, जो इसे सबसे अलग बनाती हैं. एक तो यह देश की आर्थिक राजधानी है. दूसरा यहां बॉलीवुड नाम की एक परी रहती है जिसने करोड़ों लोगो को अपने जादू में बांध रखा है. हर साल लाखों नौजवान अपने गांवों, शहरों और कस्बों से हीरो बनने की आस में इस माया नगरी की ओर रुख करते है. उनमें से कुछ तो अपने मन की मुराद पूरी कर पाते हैं और कुछ अपना सब गंवा देते हैं.
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को 1995 से पहले बॉम्बे या बंबई के नाम से जाना जाता था. दरअसल, आज हम जिस बड़े से मुंबई शहर को देखते हैं वह पहले सात अलग-अलग द्वीपों में बंटा हुआ था. अंग्रेजों के समय हॉर्नबी वेल्लार्ड परियोजना के तहत इन सातों द्वीपों कों जोड़कर ऐतिहासिक मुंबई शहर बनाया गया. पश्चिमी तट के कोंकण क्षेत्र पर बसे इस शहर का एक अपना प्राकृतिक बंदरगाह है.
भारत के कई शहरों की तरह मुंबई का भी अपना इतिहास है. साल 1534 में अहमदाबाद के सुल्तान बहादुर ने सात द्वीपों सहित अपनी जमीन पुर्तगालियों को दे दी थी. साल 1962 में पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन डे बर्गैन्ज़ा की शादी इंग्लैंड के राजकुमार चाल्स द्वितीय से हुई. प्रिंस चार्ल्स को दहेज के रूप में यह शहर मुंबई मिला. 1817 के बाद इस शहर में बड़े स्तर काम किया गया और इसे बेहतर रूप दे दिया गया.
साल 1853 में भारत की पहली रेलवे लाइन जो मुंबई को ठाणे से जोड़ती है, उसे बिछाकर यहां रेल चलाई गई. 1869 में स्वेज नहर चालू होने के बाद तो इस शहर के विकास रफ्तार कई गुना बढ़ गई. दरअसल, यह अरब सागर के सबसे बड़े बंदरगाह वाला शहर बन गया था. साल 1906 तक मुंबई की जनसंख्या लगभग 10 लाख तक पहुंच गई. उस समय इससे ज्यादा जनसंख्या सिर्फ कलकत्ता की हुआ करती थी.
बंबई प्रेसिडेंसी की राजधानी के तौर पर यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बना. 1942 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन का गवाह बना. भारत को 1947 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद अन्य देशों के साथ व्यापार और कारोबार में तेजी से बढ़ोतरी हुई. 1970 के दशक तक इसके विकास की रफ्तार ने प्रवासियों की संख्या में बहुत बड़ी बढ़ोतरी की और मुंबई ने कलकत्ता की जनसंख्या को पछाड़ दिया.