नक्सल प्रभावित इलाकों में जवानों की जान पर चौतरफा संकट है. नक्सली हमलों के साथ-साथ उनकी मौत हार्ट अटैक और दूसरी गंभीर बीमारियों की वजह से भी हो रही है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में बताया है कि बीते 5 साल में नक्सल प्रभावित इलाकों में कितने लोगों की जान, कैसे गई है.
नक्सल प्रभावित इलाकों में दिल का दौरा पड़ने और बीमारियों की वजह से सेंट्र आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) के 577 जवानों की मौत हुई है. नित्यानंद राय ने आंकड़ों को सार्वजनिक किया है. उन्होंने कहा है कि 2019 से अब तक CRPF के 297, CISF के 108, ITBP के 74 और SSB के 22 जवानों की मौत हुई है.
गृहराज्यमंत्री ने कहा, 'CRPF में, 2019 में 45 कर्मियों की मौत हुई, 2020 में 63, 2021 में 73, 2022 में 62 और 2023 में 54 जवानों की मौत हुई. BSF में 2019 में 22, 2020 में 21, 2021 में 22, 2022 में 21 और 2023 में 22 कर्मियों की मौत हुई है.
CISF से 2019 में 8, 2020 में 25, 2021 में 14, 2022 में 15 और 2023 में 14 कर्मियों की मौत हुई है. CISF कर्मियों को सार्वजनिक भवनों, सरकारी भवनों और दूसरे स्थलों में तैनाती की जाती है.
नित्यानंद राय ने कहा है कि साल 2019 में 8 ITBP कर्मियों की मौत हुई है. साल 2020 में 15, साल 2023 में 19 कर्मियों की मौत हुई है. SSB के एक जवान की 2019 में मौत हुई, 2020 में 6, 2021 में 3, 2022 में 15 और 2023 में 19 कर्मियों की मौत हुई है.
नित्यानंद राय ने लोकसभा में कहा, 'नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दिल का दौरा और बीमारी के कोई विशेष असमान्य वजह नहीं देखी गई है. साल 2010 से वामपंथी उग्रवाद हिंसा की घटनाओं में 73 फीसदी की कमी आई है. 2010 से अब तक ऐसी घटनाओं में कुल 86 प्रतिशत कमी आई है.