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India Daily

बिहार में बदली गई स्कूलों की टाइमिंग, सोमवार को इतने बजे खुलेंगे सभी स्कूल

बिहार के सरकारी स्कूलों में नया समय लागू कर दिया गया है. अब सभी विद्यालय सुबह 9:30 से शाम 4 बजे तक चलेंगे. शनिवार को गैर-शैक्षणिक गतिविधियां होंगी और कमजोर छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

Kuldeep Sharma
Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

पटना: बिहार में सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली को और अधिक व्यवस्थित व प्रभावी बनाने की दिशा में शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाया है. अररिया जिले से इसकी शुरुआत करते हुए सभी सरकारी विद्यालयों के लिए नयी समय सारिणी लागू कर दी गई है. 

इस बदलाव का उद्देश्य न केवल पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारना है, बल्कि बच्चों में अनुशासन, रचनात्मकता और आत्मविश्वास भी विकसित करना है. नए टाइम टेबल में पढ़ाई के साथ-साथ खेल, संस्कृति और व्यक्तिगत विकास को भी अहम स्थान दिया गया है.

नई समय सारिणी लागू

अररिया जिले के सभी सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में नया टाइम टेबल तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है. अब स्कूल सुबह 9:30 बजे से शाम 4 बजे तक संचालित होंगे. यह व्यवस्था सामान्य, संस्कृत और उर्दू विद्यालयों पर समान रूप से लागू होगी. शिक्षा विभाग ने एकरूपता लाने के उद्देश्य से पूरे जिले में एक समान समय सारिणी तय की है, जिससे शिक्षण व्यवस्था में संतुलन बना रहे.

प्रार्थना और अनुशासन पर जोर

विद्यालयों में सुबह 9:30 से 10 बजे तक प्रार्थना सभा और शैक्षणिक-सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी. इस दौरान छात्रों की उपस्थिति के साथ उनकी वेशभूषा, बाल और नाखूनों की भी जांच होगी. इसका उद्देश्य बच्चों में स्वच्छता और अनुशासन की आदत विकसित करना है. शिक्षा अधिकारियों का मानना है कि दिन की शुरुआत अनुशासन से होगी तो पढ़ाई का माहौल भी बेहतर बनेगा.

घंटीवार पढ़ाई और मध्यांतर व्यवस्था

पहली घंटी सुबह 10 बजे से शुरू होगी और प्रत्येक पीरियड 40 मिनट का होगा. दोपहर 12 से 12:40 बजे तक मध्यांतर रहेगा, इसी समय बच्चों को मध्याह्न भोजन परोसा जाएगा. इसके बाद चार और कक्षाएं होंगी और अंतिम घंटी 3:20 से 4 बजे तक चलेगी. इस तरह पूरे दिन की पढ़ाई को संतुलित ढंग से विभाजित किया गया है.

शनिवार रहेगा रचनात्मक गतिविधियों के नाम

नए आदेश के अनुसार शनिवार को पूरे दिन गैर-शैक्षणिक गतिविधियों के लिए आरक्षित किया गया है. इसमें बाल संसद, खेलकूद, चित्रकला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और अन्य रचनात्मक गतिविधियां शामिल होंगी. इसका मकसद बच्चों की छिपी प्रतिभाओं को निखारना और पढ़ाई के दबाव से उन्हें मानसिक रूप से राहत देना है.

कमजोर छात्रों पर विशेष ध्यान

शिक्षा विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि कमजोर विद्यार्थियों को कक्षा में आगे बैठाया जाए. इससे शिक्षक उन पर विशेष ध्यान दे सकेंगे और उनकी शैक्षणिक कठिनाइयों को समय रहते दूर किया जा सकेगा. प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी.