भारत देश विविधताओं से भरा हुआ है. खाने-पीने की चीजें हों, रहन-सहन हो या फिर कपड़े पहनने का तरीका, हर राज्य में इसमें अंतर दिखता है. अब खाने-पीने की आदतों और उसकी खरीदारी से जुड़े एक डेटा ने सबका ध्यान खींचा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पीने की चीजों और प्रोसेस्ड फूड पर खूब पैसा खर्च हो रहा है. कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां दूध और उससे बनी चीजों पर पैसे बहाए जा रहे हैं. कहीं-कहीं पर मछली, मीट और अंडे खाने के लिए जनता दिल खोलकर पैसे खर्च कर रही है.
भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने शुक्रवार को हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपिंडिचर सर्वे (HCES) 2022 की रिपोर्ट जारी की है. इसी रिपोर्ट में यह सामने आया है कि हरियाणा में दूध-दही पर ज्यादा पैसे खर्च हो रहे हैं. वहीं, केरल के लोग अंडा, मछली और मीट पर खर्च कर रहे हैं. देशभर के ग्रामीण और शहरी इलाकों के लोग सबसे ज्यादा पेय पदार्थों, नाश्ते वाली चीजों और प्रोसेस्ड फूड पर खर्च कर रहे हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा के लोग अपने खाने पर जितना खर्च करते हैं उसका 41.7 पर्सेंट हिस्सा सिर्फ दूध और उससे बनने वाले प्रोडक्ट्स पर खर्च करते हैं. वहीं, केरल के लोग अपने खाने के खर्च का 23.5 पर्सेंट हिस्सा अंडा, मछली और मीट पर खर्च करते हैं. राजस्थान के लोग दूध और दुग्ध उत्पादों पर 33.2 पर्सेंट, हरियाणा के लोग इसी पर 33.1 पर्सेंट और पंजाब के लोग दूध-दही पर 32.3 पर्सेंट रुपये खर्च करते हैं.
पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड के लिए मामले में राजस्थान के लोग 35.5 पर्सेंट, पंजाब के लोग 34.7 पर्सेंट, गुजरात के लोग 25.5 पर्सेंट, यूपी के लोग 22.6 पर्सेंट और मध्य प्रदेश के लोग 21.5 पर्सेंट हिस्सा खर्च करते हैं. फलों पर खर्च के मामले में सबसे पीछे हरियाणा और पंजाब हैं जहां सिर्फ 8.3 पर्सेंट रुपये फलों पर खर्च किए जाते हैं. सब्जियों पर खर्च के मामले में सबसे आगे छत्तीसगढ़ है. यहां 100 में से 15.8 रुपये सब्जियों पर खर्च किए जाते हैं.
अंडा, मछली और मांस खाने के मामले में गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब है. हरियाणा में अंडा, मछली और मांस पर 100 में से 2.9 रुपये, राजस्थान में 2.3 रुपये, हरियाणा में 2.7 रुपये और पंजाब में सिर्फ 2.9 रुपये खर्च होते हैं. ग्रामीण इलाकों के लोग घरेलू खर्च का 46 पर्सेंट हिस्सा खाने-पीने की चीजों के लिए करते हैं. वहीं, पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड के लिए 9.62 पर्सेंट, दूध और दुग्ध उत्पादों के लिए 8.33 पर्सेंट और सब्जियों के लिए 5.38 पर्सेंट खर्च किया जाता है.
ग्रामीण भारत के लोग अपना ज्यादातर पैसा परिवहन साधनों पर खर्च करते हैं. केरल में कुल खर्च का 18.9 पर्सेंट, तमिलनाडु में 18 पर्सेंट, गुजरात में 16.6 पर्सेंट और पंजाब में 16.3 पर्सेंट पैसा इसी पर खर्च हो जाता है. शिक्षा के मामले में यह खर्च बेहद कम है. सिर्फ हरियाणा में 10.5 पर्सेंट रुपये खर्च होते हैं, वरना बाकी सभी राज्यों में यह प्रतिशत 10 से कम है. शिक्षा पर ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च का राष्ट्रीय औसत सिर्फ 6.2 पर्सेंट है.
शहरी क्षेत्रों के हिसाब से बात करें तो कपड़ों, बिस्तर और चप्पलों पर सबसे ज्यादा खर्च पंजाब में किया जाता है. पंजाब के लोग गैर-खाद्य पदार्थों पर किए जाने वाले खर्च का कुल 11 प्रतिशत पैसा इन चीजों पर खर्च करते हैं. इन चीजों पर सबसे कम खर्च कर्नाटक में होता है जहां यह प्रतिशत सिर्प 6.9 है. देश का औसत 8.9 प्रतिशत है.