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Gurugram News: मेडिकल से फूड इंडस्ट्रीज में होता है यूज, आखिर क्या होता है Dry Ice, जिसे खाकर खून की उल्टियां करने लगे लोग

Gurugram News: ड्राई आइस काफी खतरनाक होता है. खून की उल्टी तो आम बात है. इसके खा लेने से इंसान के पाचन तंत्र की नाजुक परत पर काफी बुरा असर पड़ता है. पेट में जलन, ब्लीडिंग होने लगता है. आइए, समझते हैं कि ड्राई आइस क्या होता है, इसका यूज क्या है? इसे कैसे बनाया जाता है.

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Edited By: India Daily Live
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Gurugram News: अक्सर होटल या फिर रेस्तरां में खाने के बाद आपको माउथ फ्रेशनर परोसा जाता है. कई जगह ये बाउल में सर्व किया जाता है, तो कई जगह इसे छोटे कागज के पैकेट में दिया जाता है. आपने ये भी ध्यान दिया होगा कि कई बार बच्चों के साथ-साथ बड़े भी माउथ फ्रेशनर के पैकेज खाने के अलावा जेब में रख लेते हैं. लेकिन अगर आपको माउथ फ्रेशनर की जगह कुछ और परोस दिया जाए और आप उसे खा ले तो शायद ये आपके सेहत पर खराब असर डाल सकता है. दरअसल, कुछ ऐसा ही मामला गुरुग्राम में सामने आया है, जब रेस्तरां में खाने के बाद कस्टमर्स को रेस्तरां कर्मचारियों ने गलती से माउथ फ्रेशनर की जगह 'ड्राई आइस' परोस दिया. कस्टमर्स ने भी इसे माउथ फ्रेशनर समझकर खा लिया, जिसके बाद उनकी तबीतय बिगड़ गई, उन्हें खून की उल्टियां होने लगी.

गुरुग्राम के La Forestta Cafe में ड्राई आइस के शिकार 5 लोगों को किसी प्राइवेट हॉस्पिटल के ICU में एडमिट कराया गया है. इनमें 2 लोगों की हालत गंभीर है. उधर, मामले की जानकारी के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की है और जांच पड़ताल जारी है. आइए, जानते हैं कि आखिर Dry Ice क्या होता है? इसे कैसे बनाया जाता है? इसका क्या यूज होता है? 

दरअसल, ड्राई आइस इंसानों के लिए खतरनाक कार्बन डाई ऑक्साइड का ठोस रूप होता है. ड्राई आइस का यूज कूलिंग के लिए किया जाता है. मेडिकल से लेकर फूड इंडस्ट्री में इसका यूज किया जाता है. जैसा कि इसका नाम ही ड्राई आइस है, ये नाम की ही तरह सूखा बर्फ होता है. घर और बाजारों में मिलने वाले बर्फ की तरह गीली नहीं होती है.

अब आप सोचेंगे कि ये बर्फ होता है, जो गीला नहीं बल्कि सूखा होता है. आपने देखा होगा कि आपके घर के फ्रीज के फ्रीजर में बर्फ जम जाता है. उस बर्फ का तापमान माइनस 3 डिग्री तक होता है, लेकिन ड्राई आइस का टेम्प्रेचर 70 से 80 डिग्री तक हो सकता है. घर और बाजार वाले बर्फ और ड्राई आइस में एक अंतर ये भी कि अगर आपने फ्रीजर से बर्फ निकाला है तो वो अधिकतम तापमान में आने के बाद पिघल जाती है, जबकि ड्राई आइस पिघलने के बजाए धुआं बनकर उड़ने लगता है. 

कैसे बनाया जाता है ड्राई आइस? 

ड्राई आइस को बनाने के लिए कार्बन डाई ऑक्साइड को 100 डिग्री फॉरेनाइट के अधिक माइनस टेम्प्रचेर तक ठंडा कर कम्प्रेस किया जाता है, जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड सूखी बर्फ के रूप में परिवर्तित हो जाता है. एक सवाल ये भी कि जब ये काफी खतरनाक होता है, तो इसका ऐसा क्या यूज है, जो इसे गुरुग्राम के रेस्तरां में रखा गया था? अब तक जांच पड़ताल में सामने आया है कि एक तो इसका यूज कूलिंग के लिए किया जाता है. इसके अलावा, कई बार आपने देखा होगा कि किसी रेस्तरां, होटल में धुएं वाला इफेक्ट दिया जाता है, इसी के लिए ड्राई आइस का यूज किया जाता है. क्योंकि सूखी बर्फ पर जब गर्म पानी डाला जाता है तो ये धुएं के रूप में पिघलता है, जिससे आसपास का धुएं का इफेक्ट दिखता है.

खतरनाक इतना कि नंगे हाथ से छूना भी है मना

एक तो कार्बन डाई ऑक्साइड, ऊपर से माइनस 80 डिग्री तक टेम्प्रेचर. इसलिए ये किसी इंसान के लिए खतरनाक साबित होता है. कहा जाता है कि किसी को इसे नंगे हाथों से छूने से भी मना किया जाता है. अगर आप ड्राई आइस के सीधे संपर्क में आते हैं तो जहां आपने छूआ है, वहां की कोशिकाएं मरने लगती हैं. 


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