Shubhanshu Shukla With PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा से लौटे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि एयरफोर्स जॉइन करते समय सोचा था कि पढ़ाई का बोझ कम होगा, लेकिन वास्तव में तो सबकुछ इसके उल्टा रहा. पायलट बनने के बाद भी लगातार अध्ययन करना पड़ा और जब वे टेस्ट पायलट बने, तब यह एक तरह से इंजीनियरिंग की नई पढ़ाई बन गई. उन्होंने बताया कि इस लंबे प्रशिक्षण और अनुशासन ने उन्हें इस मिशन के लिए पूरी तरह तैयार किया.
ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने कहा कि मिशन से लौटना किसी अंत का प्रतीक नहीं है बल्कि यह एक नई शुरुआत है. उनके अनुसार गगनयान केवल भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं की पहली सीढ़ी है और आगे और भी बड़े मिशनों की राह खुलती है. उन्होंने भरोसा जताया कि भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर नई ऊंचाइयां छुएगा.
#WATCH | Delhi: During his interaction with PM Modi, Group Captain Shubhanshu Shukla said, "...When I joined the Air Force, I thought that I would not have to study, but I will have to study a lot after that. And after becoming a test pilot, it becomes a discipline of… pic.twitter.com/17UKwo0mA1
— ANI (@ANI) August 19, 2025Also Read
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प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मौके पर गगनयान टीम की सराहना की और कहा कि यह उपलब्धि पूरे देश के लिए गर्व की बात है. उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों को बधाई देते हुए कहा कि भारत का भविष्य अंतरिक्ष विज्ञान में उज्ज्वल है. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि गगनयान मिशन ने भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है जिनके पास मानवीय अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता है.
गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तैयार किया. इसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से पृथ्वी की कक्षा में भेजना और वापस लाना है. इस मिशन की सफलता से भारत वैश्विक अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा में एक नई शक्ति के रूप में उभरा है.
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के शब्दों ने युवाओं के बीच यह संदेश भी दिया कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में सफलता मेहनत, अनुशासन और सतत अध्ययन से ही संभव है. उनका कहना था कि गगनयान ने यह दिखाया है कि भारत न केवल तकनीकी रूप से सक्षम है बल्कि मानसिक और शारीरिक तैयारी में भी अग्रणी है.
इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने इसरो वैज्ञानिकों और पूरी टीम को भी धन्यवाद दिया और कहा कि देश इनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण ही यह ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर पाया है. गगनयान मिशन ने भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को एक नई उड़ान दी है और शुभांशु शुक्ला जैसे अंतरिक्ष यात्रियों ने यह साबित किया है कि कठिनाइयों से लड़ते हुए ही बड़ी उपलब्धियां हासिल होती हैं.