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India Daily

गोवा शिपयार्ड ने भारतीय तट रक्षक के लिए बनाए आठ फास्ट पैट्रोल वेसल्स, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

‘अचल’ का जलावतरण भारत की जहाज निर्माण क्षमता का एक अनुकरणीय प्रमाण है. यह गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और भारतीय तट रक्षक के बीच तालमेल और संकल्प को दर्शाता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए अत्याधुनिक जहाजों को बनाने में सक्षम है.

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Edited By: Mayank Tiwari
Fast Patrol Vessels
Courtesy: Social Media

गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल), भारत की प्रमुख रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई (डीपीएसयू), ने भारतीय तट रक्षक के लिए आठ अत्याधुनिक फास्ट पैट्रोल वेसल्स (एफपीवी) के निर्माण का जिम्मा लिया है. 28 मार्च 2022 को 473 करोड़ रुपये की लागत से इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए. ये जहाज 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ डिजाइन और निर्मित किए जा रहे हैं, जो भारत के आत्मनिर्भरता के मिशन को और मजबूत करते हैं.

दरअसल, हाल ही में इस श्रेणी के एक जहाज का जलावतरण समारोह आयोजित हुआ, जिसने जीएसएल और भारतीय तट रक्षक की लंबे समय से चली आ रही साझेदारी को और सशक्त किया.

जहाज का भव्य जलावतरण समारोह

इस जहाज का जलावतरण समारोह एक भव्य आयोजन के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्रीमती कविता हरबोला ने पारंपरिक रूप से जहाज का नामकरण किया और इसे ‘अचल’ नाम दिया गया. समारोह में अतिरिक्त महानिदेशक अनिल कुमार हरबोला, पीटीएम, टीएम, सीजीसी (डब्ल्यूएस) की उपस्थिति में ‘अथर्ववेद’ के मंत्रों के साथ यह आयोजन और भी पवित्र बना. 

कार्यक्रम में कौन-कौन लोग रहे मौजूद!

समारोह में जीएसएल के सीएमडी श्री ब्रजेश कुमार उपाध्याय, आईजी भिषम शर्मा, पीटीएम, टीएम, सीओएमसीजी (डब्ल्यू), आईजी सुधीर साहनी, टीएम, डीडीजी (एमएंडएम), भारतीय नौसेना, भारतीय तट रक्षक, शिपयार्ड और वर्गीकरण सोसाइटियों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे.

जानिए जहाज की तकनीकी विशेषताएं?

‘अचल’ को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय तट रक्षक की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन और निर्मित किया है. यह जहाज अमेरिकन ब्यूरो ऑफ शिपिंग (एबीएस) और इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (आईआरएस) के दोहरे वर्गीकरण प्रमाणन के तहत बनाया गया है. इसकी लंबाई 52 मीटर, चौड़ाई 8 मीटर, अधिकतम गति 27 नॉट्स, और विस्थापन 320 टन है. इसमें अत्याधुनिक कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर (सीपीपी) आधारित प्रणोदन प्रणाली है. यह जहाज तटवर्ती संपत्तियों और द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा, निगरानी, नियंत्रण और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

आत्मनिर्भर भारत और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

इस परियोजना ने न केवल रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया है, बल्कि स्थानीय उद्योगों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं. जीएसएल और विभिन्न कारखानों में उत्पादन गतिविधियों में शामिल कर्मचारियों और उद्यमियों को इस परियोजना से काफी लाभ हुआ है. यह परियोजना स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और राष्ट्रीय समृद्धि में योगदान देने का एक शानदार उदाहरण है.

आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मील का पत्थर

इस समारोह को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि ने शिपयार्ड और विभिन्न उद्योगों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने तट रक्षक की सभी जहाज निर्माण आवश्यकताओं को स्वदेशी रूप से पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने कहा, “जीएसएल के कर्मचारियों को इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर को हासिल करने के लिए बधाई. मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि रक्षा उत्पादन में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में यह यात्रा पूरे जोश के साथ जारी रहे.”

‘अचल’ का जलावतरण भारत की जहाज निर्माण क्षमता का एक अनुकरणीय प्रमाण है. यह गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और भारतीय तट रक्षक के बीच तालमेल और संकल्प को दर्शाता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए अत्याधुनिक जहाजों को बनाने में सक्षम है.