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पहलगाम हमले के एक महीने बाद भी हमलावरों की तलाश जारी, जांच एजेंसियों को कितनी मिली कामयाबी?

पहलगाम के बैसरन घाटी के मैदान में हुए हमले के पीछे कम से कम पांच आतंकवादियों का हाथ होने का संदेह है, जिनमें से तीन पाकिस्तान से हैं.अधिकारियों ने कम से कम तीन आतंकवादियों के स्केच जारी किए हैं और उनके बारे में सूचना देने वाले को 20-20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Pahalgam terror attack
Courtesy: Social Media

पहलगाम आतंकी हमले के एक महीने बाद भी सेना और सुरक्षा एजेंसी हमलावरों की तलाश में लगी हुई है. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 नागरिकों  की हत्या कर दी थी गई. आतंकवादियों को ढूंढने में अभी तक कोई प्रगति नहीं होने के कारण एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से जांच का जिम्मा संभाला था.गवाहों से पूछताछ कर रही है और तकनीकी निगरानी का उपयोग करके डेटा की जांच कर रही है.

पहलगाम के बैसरन घाटी के मैदान में हुए हमले के पीछे कम से कम पांच आतंकवादियों का हाथ होने का संदेह है, जिनमें से तीन पाकिस्तान से हैं.अधिकारियों ने तीन आतंकवादियों के स्केच जारी किए हैं. इनके बारे में सूचना देने वाले को 20-20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है. शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने स्कैच जारी नहीं किए थे. एनआईए ने नया मामला दर्ज करने के बाद गवाहों से पूछताछ शुरू की. अब तक उन्होंने 150 स्थानीय लोगों से पूछताछ की है, जिनमें टट्टू संचालक, दुकानदार, फोटोग्राफर और साहसिक खेल गतिविधियों में लगे लोग शामिल हैं.

स्थानीय व्यक्ति से भी पूछताछ

एनआईए ने एक स्थानीय व्यक्ति से भी पूछताछ की, जिसने घटना से करीब 15 दिन पहले इलाके में एक दुकान खोली थी, लेकिन हमले के दिन उसने दुकान बंद रखी. जांच के दौरान, एनआईए ने घटनास्थल से डंप डेटा प्राप्त किया मोबाइल फोन डेटा का एक बड़ा संग्रह, जिसमें ज़्यादातर पीड़ितों के परिवार के सदस्यों और कुछ अन्य पर्यटकों द्वारा लिए गए वीडियो और तस्वीरें शामिल हैं. 

सैकड़ों लोगों से पूछताछ

हमले के बाद के दिनों में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई की और सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें ओजीडब्ल्यू या ओवरग्राउंड वर्कर भी शामिल थे. जम्मू-कश्मीर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों को दो उद्देश्यों से हिरासत में लिया गया. पहलगाम हमले के बारे में सुराग प्राप्त करना और एक मजबूत संदेश देना कि इस तरह की कार्रवाइयों की कीमत चुकानी पड़ेगी और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.भविष्य में किसी भी हमले को रोकने के लिए संदेश देना ज़रूरी था.

अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और एनआईए को "कई लोगों" के बारे में जानकारी मिली, लेकिन ज़्यादातर सुराग झूठे पाए गए. अधिकारी ने कहा कि एक मामले में एक पर्यटक ने तीन लोगों का वीडियो पोस्ट किया था, जिनके बारे में उसने कहा कि वे हमलावरों से मिलते-जुलते थे और उन्हें बेताब घाटी (पहलगाम के पास) में देखा गया था. कुछ भी ठोस नहीं मिलने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.