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India Daily

Video: DRDO ने किया 'स्ट्रेटोस्फेरिक एयरशिप' का पहला उड़ान परीक्षण, 17 किलोमीटर की ऊंचाई से रखी जाएगी दुश्मनों पर नजर

Stratospheric Airship: यह परीक्षण मध्य प्रदेश के श्योपुर ट्रायल साइट पर किया गया और यह भारत के लिए उन्नत हवाई निगरानी और पृथ्वी अवलोकन तकनीकों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

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Edited By: Princy Sharma
DRDO Stratospheric Airship
Courtesy: X

DRDO News: भारत की सुरक्षा और निगरानी क्षमता को एक नया आयाम देते हुए DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. DRDO की इकाई ADRDE (Aerial Delivery Research and Development Establishment), आगरा द्वारा विकसित Stratospheric Airship Platform का पहला सफल परीक्षण मध्य प्रदेश के श्योपुर परीक्षण स्थल पर किया गया.

यह एयरशिप लगभग 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया और वहां एक विशेष उपकरण (instrumental payload) के साथ उड़ान भरी. इतनी ऊंचाई तक जाकर यह एयरशिप stratosphere में पहुंचा, जो कि पृथ्वी के वातावरण की एक ऊपरी परत होती है. इस तकनीक में अब तक कुछ ही देश महारत रखते हैं और अब भारत भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है.

भविष्य में मिशन के लिए फायदेमंद

62 मिनट की इस उड़ान के दौरान, कई महत्वपूर्ण सिस्टम जैसे envelope pressure control और emergency deflation mechanism का सफल परीक्षण किया गया. इन सब सिस्टम्स ने उम्मीद के मुताबिक काम किया. इस परीक्षण के दौरान जो डेटा इकट्ठा हुआ, उसका उपयोग अब भविष्य के मिशन के लिए सटीक सिमुलेशन मॉडल तैयार करने में किया जाएगा.

रक्षा मंत्री ने दी बधाई 

ट्रायल के बाद एयरशिप को सफलतापूर्वक वापस लाया गया, जिससे इसके डिजाइन में और सुधार किया जा सकेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO की इस सफलता पर बधाई दी और कहा कि यह एयरशिप भारत की निगरानी, खुफिया और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को नया बल देगा. यह देश को स्वदेशी एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में भी एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा.

DRDO के चेयरमैन ने क्या कहा ?

DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने भी इस उपलब्धि को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि यह तकनीक भारत को लंबे समय तक उड़ने वाले निगरानी प्लेटफॉर्म तैयार करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ाएगी. यह परीक्षण भविष्य में उन एयरशिप्स के रास्ते खोलता है जो लंबे समय तक ऊंचाई पर रहकर किसी भी बड़े इलाके पर लगातार नजर रख सकते हैं. यह न केवल रक्षा क्षेत्र में बल्कि प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप या बाढ़ के समय भी राहत कार्यों में बेहद उपयोगी साबित होंगे.