Rajnath Singh on Pakistan: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि भारत की सैन्य ताकत उस मुकाम पर पहुंच गई है जहां जीत एक आदत बन गई है. शनिवार को लखनऊ में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया है कि जीत अब हमारे लिए कोई मामूली बात नहीं है. जीत हमारी आदत बन गई है.
रक्षा मंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लखनऊ स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस फैसिलिटी में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाई. सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के निर्माता ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने घोषणा की है कि उसने लखनऊ के सरोजिनी नगर स्थित अपनी नई एकीकरण और परीक्षण इकाई से पहले बैच का उत्पादन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.
सशस्त्र बलों की सटीकता और तैयारी की प्रशंसा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के विरोधी अब देश की उन्नत मिसाइल क्षमताओं से बच नहीं सकते. देश को पूरा विश्वास है कि हमारे दुश्मन अब ब्रह्मोस से बच नहीं पाएंगे. पाकिस्तान की हर इंच ज़मीन अब हमारी ब्रह्मोस की पहुंच में है. उन्होंने पाकिस्तान को सख्त संदेश देते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की घटनाएं भारत की क्षमताओं की एक झलक मात्र थी.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में जो हुआ वह तो बस एक ट्रेलर था, लेकिन उस ट्रेलर ने ही पाकिस्तान को यह एहसास दिला दिया कि अगर भारत पाकिस्तान को जन्म दे सकता है, तो मुझे इस बारे में और कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है कि वह और क्या कर सकता है. राजनाथ सिंह ने कहा कि ब्रह्मोस टीम ने सिर्फ़ एक महीने के भीतर दो देशों के साथ लगभग 4,000 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं.
#WATCH | Lucknow | Defence Minister Rajnath Singh says, "What happened in Operation Sindoor was just a trailer. But that trailer itself made Pakistan realise that if India could give birth to Pakistan, then I need not say anything further about what else it could do..." pic.twitter.com/KSyXspmlu7
— ANI (@ANI) October 18, 2025
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में, हम देखेंगे कि दूसरे देशों के विशेषज्ञ लखनऊ में आएंगे, जिससे यह एक ज्ञान केंद्र और रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बन जाएगा. ब्रह्मोस की लखनऊ इकाई का कारोबार अगले वित्तीय वर्ष से लगभग ₹3,000 करोड़ रुपये होगा. जीएसटी संग्रह प्रति वर्ष ₹5,000 करोड़ रुपये होगा.