नई दिल्ली: क्या महाराष्ट्र की सियासत में अब कोई नया भूचाल आना वाला है. सियासी गलियारों में इन दिनों ऐसी चर्चाओं इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की नाराजगी की खबरें सामने आ रही है. दरअसल बीते दिनों अजित पवार ने कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लिया और अपने सरकारी आवास पर एनसीपी के नेताओं के साथ विचार मंथन किया. जिसके बाद यह चर्चा चल पड़ी कि आखिर मुंबई में अजित पवार पवार की मौजूदगी के बाद उन्होंने कैबिनेट की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. इस सियासी घटनाक्रम के बाद सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने दिल्ली पहुंच गए.
सत्ता के गलियारों में यह चर्चा है कि सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बीच पिछले कई दिनों से खींचतान चल रही है. ऐसे में अजित पवार की कैबिनेट मीटिंग में गैरमौजूदगी महाराष्ट्र की राजनीति में उभरते हुए नए समीकरण की ओर संकेत कर रही है. अजित पवार का सियासी मन और मिजाज पिछले कुछ दिनों से बदला-बदला नजर आ रहा है. बीते दिनों 23 सितंबर को बारामती में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि 'आज मेरे पास वित्त मंत्रालय है इसलिए आपको योजनाओं को लाभ देना मेरा काम है. हालांकि यह जिम्मेदारी मेरे पास कब तक रहेगी इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक शिंदे कैबिनेट का विस्तार प्रस्तावित है. राज्य मंत्रिमंडल में अभी 14 मंत्री पद खाली है. ऐसे में अजित पवार अपने गुट को एक कैबिनेट और 2 राज्यमंत्री के पद दिए जाने की मांग कर रहे है. अजित पवार पुणे का गार्जियन मिनिस्टर पद मांग रहे हैं और मौजूदा समय में बीजेपी के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत दादा पाटिल गार्जियन मिनिस्टर हैं. ऐसे में शिंदे और अजित पवार के बीच में तमाम मुद्दों पर कोल्ड वॉर की शुरुआत हो गई है.