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खुद का सपना तोड़कर पिता की खुशी के लिए जस्टिस बन गए गवई, जानें कितने पढे़ लिखें हैं CJI और कैसा रहा करियर?

गवई ने संवैधानिक कानून और प्रशासनिक कानून में वकालत की. वे नागपुर नगर निगम , अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील थे . वे विभिन्न स्वायत्त निकायों और निगमों जैसे कि SICOM, DCVL, आदि और विदर्भ क्षेत्र की विभिन्न नगर परिषदों के लिए नियमित रूप से पेश हुए.

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Edited By: Reepu Kumari
Early life and education of Justice B.R. Gavai.
Courtesy: Pinterest

न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने आज राष्ट्रपति भवन में सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टीस पद के लिए शपथ ले लिया है. भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होनें शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई को पद की शपथ दिलाई. ये देश के शीर्ष न्यायिक पद पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लेंगे. शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने मुख्य न्यायाधीश गवई को बधाई दी.

 इसके आलावा आपको बता दें कि आज जो चीफ जस्टिस की कुर्सी पर बैठ गए हैं वो कभी भी जज नहीं बनना चाहते थे. हमेशा से वो एक आर्किटेक्ट बनना चाहते थें. लेकिन किसी खास के सपने को पूरा करने के लिए वो कानून की दुनिया में पहुंच गएं. यहां हम आपको  बी.आर. गवई की शिक्षा और उनके करियर के बारे में. इसके साथ ही आपको बताएंगे कि कैसे वो अपने सपनों को छोड़ कर  किसी और के सपनों को साकार किया है. 

जस्टिस गवई के पिता

जज बनने का सपना गवई का नहीं था. लेकिन उनके पिता ये चाहते थें. जस्टिस गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई थे. वो एक फेमस अंबेडकरवादी नेता रहे. वह रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक भी थे. जो उन्हें करीब से जानते हैं वो बताते हैं कि लोग उन्हें प्यार से उनको दादा साहब कहकर पुकारते थे. सूत्रों की मानें तो, जस्टिस गवई के पिता का सपना था कि वो एक वकील बनें. लेकिन किसी कारण उनका ये सपना सपना ही रह गया. जस्टिस गवई आर्किटेक्ट बनना चाहते थे. लेकिन पिता चाहते थे कि वह उनका वकील बनने का सपना पूरा करें. फिर उनकी जिंदगी एक नया मोड़ लेती है. 

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को हुआ था. अमरावती, महाराष्ट्र में पैदा हुए थे. 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए. रिपोर्टों के अनुसार, न्यायमूर्ति गवई ने नागपुर विश्वविद्यालय से कला स्नातक और विधि स्नातक (बीएएलएल.बी.) की पढ़ाई की है.  1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र रूप से वकालत करते थे. सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर उनके प्रोफाइल के अनुसार, 1990 के बाद उन्होंने मुख्य रूप से बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में वकालत की.

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का करियर

  • गवई ने संवैधानिक कानून और प्रशासनिक कानून में वकालत कर चुके हैं. वे नागपुर नगर निगम , अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील थे. इतना ही नहीं वो कई   स्वायत्त निकायों और निगमों जैसे कि SICOM, DCVL, आदि और विदर्भ क्षेत्र की विभिन्न नगर परिषदों के लिए नियमित रूप से काम चुके हैं. 
  • गवई को अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में भी नियुक्त किया गया था.
  • उन्होनें अपने कानूनी करियार की शुरुआत एक वकील के रुप में की थी.  17 जनवरी, 2000 को  वो नागपुर पीठ के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक चुने गए हैं.
  • उसके ठीक तीन साल बाद 14 नवंबर, 2003 को उन्हें उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में चुना गया. 
  • 12 नवंबर 2005 को गवई  बॉम्बे हाई कोर्ट के स्थायी जज चुने गएं.
  • उन्होंने मुंबई स्थित प्रधान पीठ के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी स्थित पीठों में सभी प्रकार के कार्यभार संभाले.

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का सर्वोच्च न्यायालय में करियर

न्यायमूर्ति बीआर गवई को 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में चुना गया. जान लें कि इसी साल 23 नवंबर, 2025 को रिटायर हो जाएंगे. 

पिछले छह वर्षों में, न्यायमूर्ति बीआर गवई संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, सिविल कानून, आपराधिक कानून, वाणिज्यिक विवाद, मध्यस्थता कानून, बिजली कानून, शिक्षा मामले, पर्यावरण कानून आदि सहित विभिन्न विषयों से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए लगभग 700 पीठों का हिस्सा रह चुके हैं.

उन्होंने कानून के शासन को कायम रखने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मानवाधिकारों और कानूनी अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर संविधान पीठ के निर्णयों सहित लगभग 300 निर्णय लिखे हैं.