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केंद्र सरकार ने X पर बनाया ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक’ का फर्जी अकाउंट, बताई हैरान कर देने वाली वजह

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में मोबाइल फोन पर खाता दिखाते हुए स्पष्ट किया, “हमने ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक’ के नाम से एक खाता खोला है... और X ने इसे सत्यापित भी कर दिया. अब मैं इस खाते से कुछ भी पोस्ट कर सकता हूं, और लाखों लोग इसे देखकर कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक ने यह कहा है... और मैं गुमनाम रह सकता हूं.”

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Edited By: Sagar Bhardwaj
 central government created a fake account of Supreme Court of Karnataka on X

केंद्र सरकार ने शुक्रवार (18 जुलाई, 2025) को कर्नाटक हाई कोर्ट में एक फर्जी सोशल मीडिया खाता पेश किया, जो सोशल मीडिया मंच X पर ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक’ के नाम से बनाया गया था. यह संस्था वास्तव में अस्तित्व में नहीं है. सरकार ने इस खाते को केवल यह दिखाने के लिए बनाया कि ऐसे खाते कितनी आसानी से बनाए और दुरुपयोग किए जा सकते हैं. भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में मोबाइल फोन पर खाता दिखाते हुए स्पष्ट किया, “हमने ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक’ के नाम से एक खाता खोला है... और X ने इसे सत्यापित भी कर दिया. अब मैं इस खाते से कुछ भी पोस्ट कर सकता हूं, और लाखों लोग इसे देखकर कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक ने यह कहा है... और मैं गुमनाम रह सकता हूं.”

X कॉर्प की याचिका और कोर्ट की सुनवाई

यह प्रस्तुति जस्टिस एम. नागप्रसन्ना के समक्ष X कॉर्प (पूर्व में ट्विटर इंक) की याचिका की सुनवाई के दौरान की गई. X ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी है. कंपनी का आरोप है कि ये आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपायों को दरकिनार करते हैं.

‘सहयोग’ पोर्टल पर विवाद

X ने केंद्र सरकार के नए ‘सहयोग’ पोर्टल को “सेंसरशिप पोर्टल” करार देते हुए आपत्ति जताई, जो सरकारी एजेंसियों को पूर्व-स्वीकृत टेम्पलेट के माध्यम से ब्लॉकिंग आदेश जारी करने में सक्षम बनाता है. X की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के.जी. राघवन ने फर्जी खाते के प्रदर्शन पर आपत्ति जताई, क्योंकि इसे औपचारिक रूप से रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया. हालांकि, जज ने नोट किया कि केंद्र सरकार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि मध्यस्थ मंचों पर फर्जी खाते बनाना कितना आसान है.

खाता निलंबित, जिम्मेदारी का दावा

मेहता ने स्पष्ट किया कि यह खाता निष्क्रिय है और इसका उपयोग नहीं किया गया. सुनवाई के अंत में, राघवन ने कोर्ट को सूचित किया कि ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक’ नामक फर्जी खाता अब निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि X “एक जिम्मेदार व्यवसायिक संस्था” है.