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क्या सरकार छीन सकती है आपकी संपत्ति? पढ़ें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 39बी के तहत निजी संपत्ति के अधिग्रहण पर एक पुराने केस की सुनवाई चल रही है. पढ़ें कोर्ट ने क्या-क्या कहा है.

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Courtesy: Social Media

सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के अधिग्रहण को लेकर बुधवार को कहा है कि यह कहना खतरनाक होगा कि सरकार प्राइवेट संपत्ति का सामुदायिक लाभ के लिए अधिग्रहण नहीं कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सामाजिक बदलाव के लिए ऐसा किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में इस केस की सुनवाई चल रही है. 

सुप्रीम कोर्ट 'मैटीरियल रिसोर्स ऑफ द कम्युनिटी' पर सुनवाई कर रहा है, जिसका मतलब है कि भौतिक संसाधनों पर क्या संविधान के अनुच्छेद 39 बी का कितना असर हो सकता है. यह अनुच्छेद संविधान के 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' के अंतर्गत आता है.

मुंबई के प्रॉपर्टी ऑनर्स एससिएशन की तरफ से दलील दी गई कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) और 31 (सी) कहते हैं कि निजी संपत्तियों का राज्य अधिग्रहण नहीं कर सकती है. चूंकी ये राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं इसलिए ये कोर्ट में प्रवर्तनीय नहीं हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह कहना थोड़ा सा ज्यादा होगा कि 'समुदाय के भौतिक संसाधन' केवल, सामुदायिक संसाधन हैं, और इनका विस्तार किसी व्यक्ति की प्राइवेट संपदा तक नहीं है. यह सोचना खतरनाक होगा.'

प्राइवेट प्रॉपर्टी पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'माइंस और प्राइवेट जंगलों की बात कर लीजिए. उदाहरण के लिए अनुच्छेद 39 (बी) के तहत निजी जंगलों पर सरकारी नीतियां लागू नहीं होती हैं. इसलिए से मत छूइए. यह बेहत खतरनाक होगा.'  इस केस पर जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस BV नागरत्ना, जस्टिस सुधांसु धूलिया, जस्टिस जेबी पादरीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच सुनवाई कर रही है.  

- सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'संविधान, सामाजिक बदलाव की मंशा रखता है. हम यह नहीं कह सकते हैं अनुच्छेद 39(बी) का कोई का प्रयोग नहीं है, अगर संपत्ति प्राइवेट मालिक के पास हो.' बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र का कानून अधिकारियों को इजाजत देता है कि वे क्षतिग्रस्त इमारतों का अधिग्रहण कर सकते हैं. यह एकदम अलग तथ्य है, जिस पर स्वतंत्र निर्णय लिया जा सकता है.

CJI चंद्रचूड़ ने  जमींदारी प्रथा के उन्मूलन और संपत्ति के पूंजीवादी सिद्धांत का भी जिक्र किया.  उन्होंने कहा, 'संपत्ति का समाजवादी सिद्धांत, समाजिक संपत्ति का आईना है. कुछ भी एक व्यक्ति के लिए नहीं है. सभी संपत्ति समुदाय के लिए समान है. यह समाजवाद का अतिवादी नजरिया हो सकता है.'

CJI ने कहा, 'सामान्य नीति क्या है? हमारे सिद्धांत ऐसे रहे हैं कि संपत्ति को हम अपना मानते हैं.  हम समाजवादी मॉडल को अपनाने की हद तक नहीं जाते हैं कि कोई निजी संपत्ति नहीं है. लेकिन आपको पता है, हमारी संपत्ति की अवधारणा में अतिवादी समाजवादी नजरिए से अलग कुछ बदलाव आए हैं.'