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जौनपुर का 'रक्त चरित्र'! धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद दो हत्याएं, आखिर कौन है बाहुबली का जानी दुश्मन?

Jaunpur: पूर्वांचल के जौनपुर में कई दशकों से गूंजने वाला नाम धनजंय सिंह इन दिनों जेल में है लेकिन वहां की राजनीति में इस नाम की गर्मी अभी भी उतनी ही ज्यादा है.

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धनजंय सिंह
Courtesy: India Daily Live

बाहुबली, माफिया और नेता जैसे तमगों से नवाजे जाने वाले धनंजय सिंह को सजा हो चुकी है. दशकों से तमाम आपराधिक मामलों में आरोपी बन रहे धनजंय सिंह को पहली बार सजा हो चुकी है. अपराध की दुनिया से जौनपुर के सांसद तक का सफर तय करने वाले धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद से जौनपुर में दो हत्याएं हो चुकी हैं. इन दोनों का ही ताल्लुक कहीं न कहीं धनंजय से ही है. एक बीजेपी नेता को गोली मारी गई जो धनंजय सिंह की पूर्व पत्नी के खिलाफ चुनाव लड़े थे. अब धनंजय सिंह के बॉडीगार्ड को ठीक उसी दिन गोली मारी गई जिस दिन धनजंय की पत्नी श्रीकला रेड्डी सिंह को जौनपुर लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने टिकट दिया.

जौनपुर के पूर्व सांसद धनजंय सिंह को पिछले महरीने 7 साल की सजा सुनाई गई. MP-MLA कोर्ट ने पाया कि धनंजय सिंहर ने STP के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंगला को धमकी दी, रंगदारी मांगी और अपहरण करके मारपीट की. धनजंय को 7 साल की सजा होने की वजह से अब वह चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं. उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जेल जाने की वजह से धनंजय ने अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी सिंह को चुनाव में उतार दिया है और वह बसपा के टिकट पर मैदान में हैं.

हत्याओं से दहला जौनपुर

धनंजय सिंह को कोर्ट ने 6 मार्च 2024 को सजा सुनाई और तुरंत गिरफ्तार करके जेल भेजने का आदेश दिया. अगले ही दिन बीजेपी के नेता प्रमोद यादव को गोली मार दी गई. प्रमोद यादव साल 2012 में जौनपुर की मल्हनी सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उस समय धनंजय सिंह ने अपनी तत्कालीन पत्नी जागृति सिंह को इसी सीट से चुनाव लड़वाया था. हालांकि, बाद में धनजंय सिंह और जागृति का तलाक हो गया और उन्होंने श्रीकला रेड्डी से शादी कर ली. बताया जाता है कि विरोध में चुनाव लड़ने के बावजूद प्रमोद यादव धनंजय के करीबी हुआ करते थे. 

इस मामले में मुख्य आरोपी विजय कुमार यादव को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस की जांच में सामने आया है कि प्रधानी के चुनाव को लेकर दोनों के बीच आपसी रंजिश थी. बता दें कि लगभग 44 साल पहले प्रमोद यादव के पिता की भी इसी तरह से हत्या कर दी गई थी. अब 16 मार्च को धनंजय सिंह के पर्सनल बॉडी गार्ड अनीस खान को गोली मार दी गई जिसमें उनकी मौत हो गई. फिलहाल इस मामले में जांच की जा रही है.

मरकर जिंदा हुआ धनंजय?

छात्र जीवन से ही अपराध जगत में अपना नाम दर्ज करवा चुके धनंजय सिंह के बारे में अक्टूबर 1998 में पुलिस ने एक झूठ बोला था. पुलिस ने बताया कि एक एनकाउंटर में धनंजय सिंह को मार गिराया गया है. चार महीने बाद धनंजय सिंह सबके सामने आ गए और पुलिस को ही शर्मिंदगी उठानी पड़ी. बाद में यह एनकाउंटर फेक साबित हुआ और 30 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस चला.

दोस्ती, गैंगबाजी और फिर दुश्मनी

लखनऊ में पढ़ाई करने वाले धनजंय सिंह की दोस्ती उस समय अभय सिंह, बबलू सिंह और दयाशंकर सिंह जैसे लोगों से हुई. सिर्फ जाति के चलते इन लोगों की एकजुटता बढ़ी और धीरे-धीरे ये हावी होते गए. गोली चलाना, चाकू मार देना या रंगदारी करना इन लोगों के नाम पर दर्ज होने लगा. कहा जाता है कि बाद में एक हत्या के मामले में धनंजय के फरार होने के बाद वसूली का पैसा अभय सिंह के पास आने लगा और आगे चलकर इसी को लेकर दोनों की ठन गई.

साल 2002 में विधायक बन चुके धनंजय सिंह के काफिले पर हमला हुआ. कहा जाता है कि बनारस में हुए इस शूटआउट में सामने अभय सिंह थे. दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी हुए धनंजय सिंह की टीम के कई लोग घायल हुए. इस केस में धनंजय सिंह ने अभय सिंह के खिलाफ केस भी दर्ज कराया. साल 2018 में जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में भी धनंजय सिंह का नाम उछला.