उत्तर प्रदेश की गाजीपुर लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी इस बार समाजवादी पार्टी (एसपी) के कैंडिडेट हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पारसनाथ राय को उतारकर सबको चौंका दिया. अब पारसनाथ राय अपने बयानों से सबको चौंका रहे हैं. पेशे से शिक्षक पारसनाथ ने अब कहा है कि वह चाणक्य के शिष्य हैं और उन्हें पता है कि नंदवंश को कैसे खत्म करना है. पारसनाथ राय ने खुद को टिकट मिलने पर भी हैरानी जताई थी और कहा था कि उन्होंने तो कभी टिकट मांगा ही नहीं. कुछ दिनों पहले अफजाल अंसारी के छोटे भाई और नेता से माफिया बने मुख्तार अंसारी की जेल में ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. इस बार अंसारी परिवार के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है.
2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में पारसनाथ राय ने कहा कि पूरे देश में जातिगत समीकरण टूटे हैं. अगर जाति का फॉर्मूला चल रहा होता तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते. एक सवाल के जवाब में पारसनाथ राय ने कहा, 'मैं एक शिक्षक और चाणक्य का शिष्य हूं. मुझे पता है कि नंदवंश का नाश कैसे करना है.' उनका यह बयान गाजीपुर के चुनावी माहौल में खूब चर्चा बटोर रहा है और उनके तेवर को लेकर भी तरह-तरह की बातें की जा रही हैं.
अचानक चर्चा में आए पारस नाथ बीजेपी के समर्पित कार्यकर्ताओं में से रहे हैं. यहां से सांसद चुने जाते रहे मनोज सिन्हा के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभालते रहते हैं. फिलहाल वह गाजीपुर में कुछ कॉलेज का संचालन करते हैं. वह खुद भी शिक्षक हैं. उनके बेटे आशुतोष राय BJYM के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. मनोज सिन्हा फिलहाल जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं, ऐसे में इस बार उन्हीं के सिपहसालार कहे जा रहे पारसनाथ को टिकट दिया गया है.
2014 और 2019 में बीजेपी ने मनोज सिन्हा को गाजीपुर से चुनाव लड़ाया. 2014 में वह चुनाव जीते और सांसद के साथ-साथ मोदी सरकार में रेल राज्यमंत्री भी बने. 2019 में सपा-बसपा जब साथ आईं तो मनोज सिन्हा अफजाल अंसारी से चुनाव हार गए. बाद में उन्हें जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बना दिया गया.