Bihar political crisis timeline: बिहार की राजनीति में पिछले करीब 50 दिनों में ऐसा समीकरण बदला कि विपक्षी दलों के I.N.D.I.A गठबंधन के मुख्य सूत्रधार नीतीश कुमार अब सत्ता पक्ष की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल होने जा रहे हैं. इन 50 दिनों में क्या कुछ हुआ जो बिहार की राजनीति पूरी तरह से 360 डिग्री बदल गई. आइए, जानते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत कब और कैसे हुई और नीतीश के फिर से एनडीए में शामिल होने की खबरों के बीच क्या-क्या हुआ?
10 दिसंबर 2023: ये वो तारीख है, जब 2022 में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार, अमित शाह के साथ एक मंच पर पहली बार दिखे. एक सरकारी कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने गर्मजोशी से नीतीश कुमार का स्वागत किया. दोनों नेताओं की इस मुलाकात के बाद बिहार में राजनीतिक घटनाक्रमों में बदलाव दिखने लगा.
29 दिसंबर 2023: नीतीश कुमार और अमित शाह की सरकारी कार्यक्रम में मुलाकात के ठीक 18 दिन बाद यानी 29 दिसंबर 2023 को दिल्ली में जनता दल यूनाइटेड की बैठक हुई. बैठक में अहम फैसला किया गया और ललन सिंह उर्फ राजीव रंजन सिंह को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया.
ये वहीं ललन सिंह थे, जो एनडीए से अलग होने के बाद लगातार पीएम मोदी और अमित शाह पर निजी हमले करते रहे. हालांकि, 29 दिसंबर को हुई बैठक में ललन सिंह को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान अपने हाथों में संभाल ली. अब ये सियासी संयोग था या प्रयोग... आज के घटनाक्रम से आप बखूबी समझ सकते हैं.
14 जनवरी 2024: नीतीश कुमार के अध्यक्ष पद संभालने के 16 दिन बाद यानी 14 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार पर अमित शाह का स्टैंड बदल जाता है. अमित शाह इस थ्योरी को सिरे से खारिज कर देते हैं कि अब एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी के दरवाजे बंद हो चुके हैं.
दरअसल, एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में जब अमित शाह से पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार आदि, ये आना चाहे तो क्या रास्ते खुले हैं? इस सवाल के जवाब में अमित शाह कहते हैं कि किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा.
नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात और फिर अमित शाह के नीतीश पर स्टैंड को बदलने के बीच बिहार में एक बड़ा सियासी घटनाक्रम हुआ, जो नीतीश के एनडीए में आने की बड़ी वजह मानी जा रही है और इस घटनाक्रम को गठबंधन में खटपट की वजह भी माना जा रहा है.
नीतीश और लालू यादव के मतभेद की खबरों के बीच दिसंबर में जदयू के 11 विधायकों की एक गुप्त बैठक हुई. कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में जदयू के सीनियर नेता भी शामिल थे. इस मीटिंग का एजेंडा जदयू के दर्जनभर विधायकों को तोड़कर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना था. इस पूरे प्लानिंग के पीछे लालू यादव का दिमाग था, जिसमें ललन सिंह मदद कर रहे थे.
कहा जाता है कि इस मीटिंग की भनक नीतीश कुमार को लग गई और उन्होंने लालू यादव के 'तेजस्वी सीएम वाला मास्टरप्लान' फेल कर दिया. इसके बाद नीतीश कुमार यादव ने ललन सिंह को राजनीतिक रूप से ठिकाने लगा दिया.