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India Daily

हिंदी, हिंदुस्तान... पर आमने-सामने आए बिहार CM नीतीश कुमार और जग्गी वासुदेव, जानें क्या है विवाद

विपक्षी इंडिया गठबंधन की बैठक में विवाद तब पैदा हुआ जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता टीआर बालू, नीतीश कुमार की ओर से हिंदी में दिए गए भाषण को समझने में असमर्थ रहे और अनुवाद के लिए संकेत दिया.

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Edited By: Naresh Chaudhary
Nitish Kumar, Jaggi Vasudev

हाइलाइट्स

  • जग्गी वासुदेव ने कहा- राज्यों की अपनी भाषा और साहित्य हैं
  • इंडिया गठबंधन की 19 दिसंबर की बैठक से उठा हिंदी का मुद्दा

Bihar CM Nitish Kumar and Jaggi Vasudev Dispute: हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बताते और बैठक में अनुवाद के अनुरोध पर बिहार के सीएम द्वारा आपा खोने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार की आलोचना की है. सद्गुरु ने एक्स पर लिखा है कि हिंदुस्तान का मतलब वह भूमि है जो हिमालय और इंदु सागर या हिंदुओं की भूमि के बीच स्थित है, न कि हिंदी भाषा की भूमि.

जग्गी वासुदेव ने कहा- राज्यों की अपनी भाषा और साहित्य हैं

सद्गुरु जजग्गी वासुदेव ने कहा कि राज्यों के भाषाई विभाजन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भारत में सभी भाषाओं को समान दर्जा मिले, चाहे उन्हें बोलने वाले लोगों की संख्या कुछ भी हो. उन्होंने जद (यू) नेता से भारत की भाषाई विविधता का सम्मान करने का भी आग्रह किया है. आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि आदरपूर्वक आपसे अनुरोध है, इस तरह के तुच्छ बयानों से बचें क्योंकि कई राज्य हैं, जिनकी अपनी भाषा, साहित्य और संस्कृति है.

सद्गुरु की ओर से किया गया ट्वीट.
सद्गुरु की ओर से किया गया ट्वीट.

इंडिया गठबंधन की बैठक से उठा हिंदी का मुद्दा

मंगलवार को विपक्षी इंडिया गठबंधन की बैठक में विवाद तब पैदा हुआ जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता टीआर बालू, नीतीश कुमार की ओर से हिंदी में दिए गए भाषण को समझने में असमर्थ रहे और अनुवाद के लिए संकेत दिया. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने अनुवाद करने की पेशकश की, लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें अस्वीकार कर दिया, जिन्होंने जोर देकर कहा कि "हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं और हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है. हमें भाषा आनी चाहिए.

नीतीश कुमार का आक्रोश, जिसने विवाद को जन्म दिया, और सद्गुरु की फटकार देश में भाषा की राजनीति पर चल रही बहस का ताजा मामला है. जहां केंद्र सरकार की ओर से कथित तौर पर हिंदी थोपना खासकर दक्षिणी राज्यों में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है.