Bengaluru Water Crisis: पिछले 50 वर्षों में, बेंगलुरु में ताबड़तोड़ बिल्डिंग के निर्माणों के कारण ग्राउंड वाटर लेवल में गिरावट देखी गई है. धड़ाधड़ मकानों, बिल्डिंगों के निर्माण से पानी की गंभीर कमी और वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है. इसे अनप्लांड अर्बनाइजेशन (अनियोजित शहरीकरण) बताया गया है, जिसने संसाधनों के बीच असमानता, ट्रैफिक की भीड़ और झुग्गी-झोपड़ियों के प्रसार जैसे मुद्दों को जन्म दिया है.
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अनियोजित शहरीकरण ने बेंगलुरु के जल स्तर को प्रभावित किया है और इसकी निरंतर कमी में योगदान दिया है. पिछले कुछ दशकों में बेंगलुरु में भवन निर्माण में 1055% की तेजी देखी गई है, जिसपर किसी ने समय रहते ध्यान नहीं दिया. इसके कारण न सिर्फ पानी वाले इलाकों में वाटर लेवल में गिरावट आई, बल्कि पिछले 50 वर्षों में पेड़ों की कटाई के कारण भी अन्य समस्याएं पैदा हुईं.
ये रिपोर्ट ऐसे वक्त में सामने आई है, जब बेंगलुरु में पानी की भारी कमी हो गई है. ये रिपोर्ट भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की ओर से जारी की गई है. IISc के वैज्ञानिकों की ओर से पिछले 50 वर्षों में बेंगलुरु में आए परिवर्तन और डेवलपमेंट की मैपिंग की है. हाल ही में जारी मॉडल में IISc के साइंटिस्ट्स ने रिसर्चर्स और पॉलिसी मेकर्स को ध्यान देने में मदद करने के लिए 'मुफ्त और ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर' का उपयोग कर सार्वजनिक सूचना प्रणाली- ब्यूएस (बैंगलोर सूचना प्रणाली) और बीएलआईएस (बैंगलोर झील सूचना प्रणाली) को पेश किया है.
IISc के सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज के प्रोफेसर टीवी रामचंद्र के अनुसार, जल प्रसार क्षेत्र यानी वाटर स्पेड एरिया 1973 में 2,324 हेक्टेयर था, जो 2023 में घटकर मात्र 696 हेक्टेयर रह गया है. वाटर स्प्रेड एरिया के घटने से पूरे बेंगलुरु में भूजल स्तर में गिरावट आई है. 1973 में बेंगलुरु में पानी की सतह का विस्तार 2,324 हेक्टेयर था. पिछले 50 वर्षों में, लापरवाह कंक्रीटीकरण के कारण, पानी की सतह काफी सिकुड़ गई है. पानी के अन्य सोर्स में शामिल 98 फीसदी झीलों पर अतिक्रमण हो चुका है और उनमें से 90% इडस्ट्रीज से निकले कचरे से भरे हुए हैं. इसका स्वभाविक रूप से वाटर लेवल पर खराब असर पड़ा है.
जल सतह क्षेत्र यानी वाटर सर्फेस एरिया में कमी ने बेंगलुरु में ग्राउंड वाटर रिचार्ज को भी प्रभावित किया है. संयोग से, 1973 में IT सिटी का क्षेत्र केवल 8% तक फैसला था, जो 2023 में बढ़कर 93.3% हो गया है. प्रोफेसर रामचन्द्र ने ग्रीन कवर के नुकसान के लिए वायु प्रदूषण और बढ़ते तापमान को जिम्मेदार ठहराया. बेंगलुरु के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा से पता चलता है कि बेंगलुरु में 95 लाख आबादी पर केवल 15 लाख पेड़ हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो बेंगलुरु में हर 7 व्यक्ति पर एक पेड़ है.