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Atal Bihari Vajpayee Birthday: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में जानें सब-कुछ

'काल के कापल पर लिखता मिटाता हूं... गीत नया गाता हूं' और 'हार नहीं मानूंगा... रार नहीं ठानूंगा' जैसे गीतों और कविताओं से उन्होंने जनमानस को एक नई चेतना दी. तीन दिन बाद यानी 25 दिसंबर को अटल जी का जन्मदिन है.

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Naresh Chaudhary
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हाइलाइट्स

  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ब्राह्मण परिवार में हुआ जन्म
  • अटल जी ने अगस्त 1942 में राजनीति में रखा था पहला कदम

Atal Bihari Vajpayee Birthday: भारत की राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी... एक ऐसा नाम है जो कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. एक पत्रकार, कवि और राजनेता (पूर्व प्रधानमंत्री) के रूप में अटल बिहारी हमेशा याद रहते हैं. 'काल के कापल पर लिखता मिटाता हूं... गीत नया गाता हूं' और 'हार नहीं मानूंगा... रार नहीं ठानूंगा' जैसे गीतों और कविताओं से उन्होंने जनमानस को एक नई चेतना दी. तीन दिन बाद यानी 25 दिसंबर को अटल जी का जन्मदिन है. तो आइए जानते हैं उनके प्रारंभिक से लेकर जीवन के अंतिम क्षणों तक की कहानी. 

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ब्राह्मण परिवार में हुआ जन्म

अटल बिहारी बाजपेयी का जन्म ग्लावियर के गरीब ब्राह्मण परिवार में 25 दिसंबर साल 1924 को हुआ. अटल जी के पिता का नाम कृष्णा बिहारी था. वे एक स्कूल टीचर और कवि हुआ करते थे. प्रारंभिक शिक्षा  के बाद अटल बिहारी ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कानून करने के लिए आवेदन किया. बताया जाता है कि जब उनका मन नहीं लगा तो उन्होंने लॉ की पढ़ाई छोड़ दी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की एक सार्वजनिक मैगजीन में संपादक की नौकरी करने लगे. वाजपेयी जी की पहचान एक सफल पत्रकार के रूप में भी होती है.  

अटल जी ने अगस्त 1942 में राजनीति में रखा था पहला कदम

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1942 में अगस्त महीने से की. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया. इसमें अटल जी और उनके बड़े भाई को अंग्रेजी हुकूमत ने 23 दिनों के लिए हिरासत में लिया. यहीं से उन्होंने में राजनीति में कदम रखा और फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए. इसके बाद साल 1951 में कानपुर में जनसंघ के संस्थापक सदस्य बने. बताया जाता है कि अलट ने अपने जीवन का काफी समय लखनऊ मे बिताया. लखनऊ को अटल जी की कर्मस्थली भी कहा जाता है. यहां से अटल पांच बार यानी (1991, 1996, 1998, 1999, 2004) में सांसद चुनकर देश की संसद में पहुंचे. 

1957 में पहली बार सांसद और 1996 में पहली बार पीएम बने 

वाजपेयी जी ने साल 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन बदकिस्मती से उन्हें हार मिली. इसके बाद जनसंघ ने उन्हें साल 1957 में लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर लोकसभा सीच से चुनावी मैदान में उतारा. इसके बाद वे बलरामपुर सीट से जीते. साल 1957 से 1977 में जनता पार्टी के बनने तक अटल जी जनसंघ संसदीय दल के नेता भी रहे. इसके बाद अटल जी साल 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. साल 1977 में अटल जी विदेश मंत्री बने. जबकि अटल जी पहली बार साल 1996 में देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए. 

पद्म विभूषण से लेकर भारत रत्न तक मिला सम्मान

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन काल में देश के शीर्ष पुरस्कार भी हासिल किए, उन्हें साल 1992 में पद्म विभूषण सम्मान मिला. साल 1994 में अटल जी को लोकमान्य तिलक अवार्ड, साल 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद अवार्ड, साल 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत अवार्ड और साल 2015 में भारत रत्न ने नवाजा गया. अटल जी के बारे में एक और बड़ी बात कही जाती है, वो है कि पूरे राजनीतिक काल में अलट जी का कोई भी धुर विरोधी शख्स या पार्टी नहीं रही.