Adani Bribe Row: भारत के सबसे ताकतवर उद्योगपतियों में 62 साल के गौतम अडानी का नाम देशभर में सबकी जुबान में आता है. जहां अमेरिका की एक कोर्ट ने उन पर और उनके कुछ साथियों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है. हालांकि, अब तक उन पर लगे आरोपों में शायद यह सबसे गंभीर है. इस बीच अडानी समूह ने बुधवार (26 नवंबर) को कहा कि उसके अध्यक्ष और अरबपति गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा दर्ज रिश्वत मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और प्रमुख कार्यकारी विनीत जैन पर आरोप लगाया है. उन पर आरोप है कि सौर ऊर्जा सप्लाई के लिए कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने की योजना में शामिल होने का आरोप है, जिससे अगले 20 सालों में संभावित रूप से 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का मुनाफा हो सकता है.
एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट 'गलत'
रिश्वतखोरी के आरोपों में फंसी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में साफ किया कि तीन व्यक्तियों पर एफसीपीए उल्लंघन का आरोप लगाने वाली रिपोर्ट “गलत हैं. उन पर जो आरोप लगाए गए हैं वे ऐसे अपराधों से जुड़े हुए हैं, जिनके लिए आर्थिक जुर्माना या दंड हो सकता है.
जानिए क्या है पूरा मामला?
फाइलिंग में कहा गया है, "गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन पर यूएस डीओजे के अभियोग या यूएस एसईसी की सिविल शिकायत में तय एफसीपीए के किसी भी उल्लंघन का आरोप नहीं लगाया गया है. इन निदेशकों पर आपराधिक अभियोग में 3 मामलों में आरोप लगाए गए हैं. जिनमें पहला है कि प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, जबकि, दूसरा है कथित वायर धोखाधड़ी की साजिश और तीसरा कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी शामिल है.
अडानी ग्रुप पर क्या लगे आरोप!
अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी, सागर अडानी और विनीत जैन के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के लिए संयुक्त राज्य जिला कोर्ट में आपराधिक मुकदमा दायर किया है. जिसके जवाब में, अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया है और अपने बचाव के लिए सभी उपलब्ध कानूनी उपायों का उपयोग करने की बात कही है. कंपनी ने कहा, "अभियोग में किसी भी जुर्माने/दंड की कोई मात्रा तय नहीं की गई है.
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने प्रतिभूति अधिनियम 1933 और प्रतिभूति अधिनियम 1934 की कुछ धाराओं का उल्लंघन किया. इसके साथ ही अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड को इन अधिनियमों के उल्लंघन में सहायता और प्रोत्साहन दिया. इस शिकायत में प्रतिवादियों को नागरिक मौद्रिक दंड का भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, लेकिन इसमें जुर्माने की रकम तय नहीं की गई है.