menu-icon
India Daily

'सरकार बदलाव को तैयार नहीं...', मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी की जगह जहर का इंजेक्शन देने के विकल्प पर सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court News: वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने 2017 में एक जनहित याचिका दायर कर फांसी पर लटकाकर मौत की सजा देने की वर्तमान प्रथा को समाप्त करने और इसके स्थान पर जहर का इंजेक्शन, गोली मारना, बिजली का झटका देना या गैस चैंबर जैसे कम दर्दनाक तरीकों को अपनाने की मांग की थी.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
 government is not ready for change Supreme Court on the option of lethal injection for death row co
Courtesy: X

Supreme Court News: मौत की सजा पाए दोषियों के सामने मौत के तरीके का विकल्प चुनने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि मौत की सजा पाए दोषी के सामने यह विकल्प होना चाहिए कि वह फांसी पर लटकना चाहता है या जहर के इंजेक्शन से मरना चाहता है.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि समस्या ये है कि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सरकार का कहना है कि दोषियों को मौत के तरीके के तौर पर जहर का इंजेक्शन देने का विकल्प देना व्यावहारिक नहीं हो सकता.

हमें जहर देने का विकल्प चुनना चाहिए

मल्होत्रा ने कोर्ट के सामने कहा, 'मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें जहर देने का विकल्प चुनना चाहिए क्योंकि अमेरिका के 50 में से 49 राज्यों ने यह अपना लिया है.' उन्होंने कहा कि जहर का इंजेक्शन देकर मारना फांसी देने के मुकाबले बहुत त्वरित, मानवीय और सभ्य है क्योंकि फांसी देने में इंसान का शव लगभग 40 मिनट तक रस्सी पर लटकार रहता है.

जस्टिस मेहता ने सरकार की तरफ से दलील दे रहे अधिवक्ता से मल्होत्रा की दलीलों को सरकार तक पहुंचाने और इन पर विचार करने का आग्रह किया. हालांकि सरकार की ओर से जारी अधिवक्ता ने कहा कि इस बात पर ध्यान दिया गया है कि यह विकल्प देना बहुत व्यावहारिक नहीं हो सकता है.  इस पर जस्टिस मेहता ने कहा कि समस्या ये है कि सरकार वक्त के साथ बदलाव को तैयार नहीं है...चीजें समय के साथ बदल गई हैं.

वकील ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मई 2023 में पारित आदेश का हवाला दिया. उस आदेश में पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि की इस दलील पर गौर किया था कि सरकार इस मामले में उठाए जाने वाले मुद्दों की समीक्षा के लिए एक समिति की नियुक्ति पर विचार कर रही है. केंद्र के वकील ने कहा कि वे सरकार से निर्देश मांगेंगे कि समिति के संबंध में क्या हुआ है.

11 नवंबर को होगी मामले की सुनवाई

पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की है. गौरतलब है कि मल्होत्रा ने 2017 में एक जनहित याचिका दायर कर फांसी पर लटकाकर मौत की सजा देने की वर्तमान प्रथा को समाप्त करने और इसके स्थान पर जहर का इंजेक्शन, गोली मारना, बिजली का झटका देना या गैस चैंबर जैसे कम दर्दनाक तरीकों को अपनाने की मांग की थी.