शिवराज सिंह चौहान अब मध्य प्रदेश से निकलकर केंद्र में कृषि मंत्री बन चुके हैं. मध्य प्रदेश में उन्होंने भाजपा के लिए जो काम किया वही काम उन्हें केंद्र में करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मोदी सरकार ने उन्हें कृषि मंत्री बनाया है उनके कंधों पर अब मोदी सरकार से नाराज चल रहे किसानों को मनाने का दारोमदार होगा. अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने की दिशा में कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने पहला कदम बढ़ा दिया है.
शनिवार 15 जून को मंत्री चौहान ने एक प्रेस कान्फ्रेंस की. प्रेस कान्फ्रेंस में उन्होंने सरकार के कामों की सराहना करते हुए की सारी नई योजनाओं के बारे में बताया. इसी में से एक योजना है कृषि सखी कार्यक्रम. इस योजना के तरह सरकार का लक्ष्य कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है.
क्या है कृषि सखी कार्यक्रम
प्रेस कान्फ्रेंस में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पीएम मोदी का संकल्प देश में 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का है, एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी है और 2 करोड़ बननी बाकी हैं. उसी का एक आयाम है कृषि सखी.
कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए देश के 12 राज्यों में 'कृषि सखी' कार्यक्रम शुरु किया गया है।
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) June 15, 2024
- माननीय श्री @ChouhanShivraj जी pic.twitter.com/xaw7pJs72e
कृषि मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत किसानों की सहायता के लिए ग्रामीण इलाकों की बहनों को प्रशिक्षण देकर तैयार किया गया है ताकि वो खेतों में अलग-अलग कामों के माध्यम से किसानों का सहयोग कर सकें और लगभग 60-80 हजार रुपए तक की सालाना अर्जित आय कर पाएं. कृषि मंत्री ने कहा प्रथण चरण के तहत यह कार्यक्रम अभी तक 12 राज्यों गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश और मेघालय शुरू किया गया है.
कैसे काम करेंगी कृषि सखी
कृषि सखी कार्यक्रम के तहत अभी तक 34,000 से अधिक कषि सखयों को पैरा एक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है. कृषि सखियों को कृषि पैरा-विस्तार कार्यकर्ताओं के तौर पर इसलिए चुना जाता है क्योंकि वे गांव की होती है और कृषि के बारे में उन्हें जानकारी होती है.
कृषि सखियों को कृषि पद्धितियों के बारे में व्यापर प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे साथी किसानों की मदद कर सकें और उनका मार्गदर्शन कर सकें. इस कार्यक्रम की शुरुआत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत एक साल पहले शुरू की गई थी. इस कार्यक्रम के तहत 70,000 कृषि सखियों को ट्रेनिंग देना सरकार का उद्देश्य