नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शराब घोटाला मामले में AAP सांसद संजय सिंह की ओर से रिमांड और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. संजय सिंह ने याचिका के माध्यम से कोर्ट में कहा था कि कि वह न तो संदिग्ध हैं और न ही आरोपी हैं. पिछले एक साल से अधिक समय से एक मुख्य आरोप पत्र और दो पूरक आरोप पत्र दायर होने के बावजूद आज तक याचिकाकर्ता की कोई संलिप्तता नहीं है. जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा की पीठ ने कहा कि अदालत को रिमांड या गिरफ्तारी के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई वजह नहीं मिला. जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.
Delhi High Court dismisses Aam Aadmi Party leader and Rajya Sabha MP Sanjay Singh's plea challenging his remand and arrest in the alleged liquor scam case.
— ANI (@ANI) October 20, 2023
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सुनवाई की आखिरी तारीख पर ईडी की ओर से पेश होते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कहा "आप नेता संजय सिंह को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद जांच के लिए गिरफ्तार किया गया है. जांच के दौरान यह पता चला है कि संजय सिंह भी दिल्ली शराब घोटाले की साजिश का हिस्सा है और वह दिनेश अरोड़ा और अमित अरोड़ा से इस मामले में जुड़े हुए है.वह रिश्वत इकट्ठा करने का हिस्सा रहे है और है और 2 करोड़ रूपया प्राप्त की है"
बीते दिनों अदालत में पेशी के दौरान संजय सिंह ने दावा किया था कि हिरासत में उनसे पूछताछ के दौरान ED ने गैर-गंभीर और असंबंधित सवाल पूछे. संजय सिंह ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था और ट्रायल कोर्ट की ओर से दी गई रिमांड को भी चुनौती दी थी. ईडी ने 4 अक्टूबर, 2023 को संजय सिंह को उनके दिल्ली आवास पर लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था.
ट्रायल कोर्ट ने पिछले हफ्ते संजय सिंह को 27 अक्टूबर 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. ईडी ने हाल ही में संजय सिंह को उनके दिल्ली स्थित आवास पर ईडी अधिकारियों की एक दिन की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया था. इसी साल मार्च महीने में इसी शराब नीति घोटाला मामले में संजय सिंह की पार्टी के सहयोगी और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने दावा किया है कि संजय सिंह और उनके सहयोगियों ने 2020 में शराब की दुकानों और व्यापारियों को लाइसेंस देने के दिल्ली सरकार के फैसले में भूमिका निभाई, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ और भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का उल्लंघन हुआ.
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