नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपने करीब 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनधारकों को बड़ा तोहफ़ा देते हुए 8वें वेतन आयोग के गठन को औपचारिक मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) तय कर दिए गए हैं. अब आयोग को अगले 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को सौंपनी होंगी.
सरकारी आदेश के अनुसार, नया वेतनमान 1 जनवरी 2026 से लागू माना जाएगा. इसका मतलब यह है कि आयोग अपनी रिपोर्ट जितनी देर से सौंपेगा, कर्मचारियों और पेंशनधारकों को उतना अधिक एरियर का लाभ मिलेगा, क्योंकि सरकार उन्हें जनवरी 2026 से लेकर सिफारिश लागू होने तक के महीनों का बकाया वेतन एकमुश्त देगी.
मान लीजिए आयोग अप्रैल 2026 में अपनी सिफारिशें सौंपता है और सरकार जुलाई 2026 से बढ़ा हुआ वेतन लागू करती है. इस स्थिति में कर्मचारियों को जनवरी से जून 2026 तक का एरियर मिलेगा.
अगर आयोग 2.47 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश करता है, तो मौजूदा 18,000 रुपये की न्यूनतम बेसिक सैलरी 44,460 रुपये हो जाएगी. यानी 26,460 रुपये की सीधी बढ़ोतरी. मेट्रो सिटी में रहने वाले कर्मचारियों को नई बेसिक सैलरी का 30% हाउस रेंट अलाउंस (HRA) मिलेगा, यानी 13,338 रुपये अतिरिक्त. इस तरह एक कर्मचारी की मासिक आय में कुल 37,798 रुपये की बढ़ोतरी होगी.
अब अगर जनवरी से जून तक का एरियर जोड़ा जाए, तो 6 महीनों का बकाया लगभग 2,26,788 रुपये होगा. जुलाई 2026 में नई सैलरी 57,798 रुपये (44,460 + 13,338) मिलेगी, और साथ ही एरियर की रकम जोड़ने पर कुल भुगतान 2,84,586 रुपये तक पहुंच सकता है.
अगर आयोग अपनी रिपोर्ट देने में पूरा 18 महीनों का समय लेता है, यानी 2025 के नवंबर से लेकर अप्रैल 2027 तक, तब कर्मचारियों को कुल 16 महीनों का एरियर मिलेगा. इस स्थिति में न्यूनतम वेतन पाने वाले कर्मचारी के खाते में एकमुश्त करीब 6,04,800 रुपये तक की राशि आ सकती है.
इसके उलट, यदि आयोग दिसंबर 2025 में ही सिफारिशें दे देता है और सरकार जनवरी 2026 से नया वेतन लागू कर देती है, तो कर्मचारियों को कोई एरियर नहीं मिलेगा. इस स्थिति में उन्हें सिर्फ बढ़ी हुई सैलरी, यानी 57,798 रुपये ही प्राप्त होंगे.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, अंतिम वेतन निर्धारण में महंगाई भत्ता (DA) को भी जोड़ा जा सकता है, जिसकी दर उस समय तय की जाएगी. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें जितनी देर से लागू होंगी, कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए एकमुश्त आर्थिक लाभ उतना ही अधिक होगा.