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कौन हैं रंजना प्रकाश देसाई? जिन्हें 8वें वेतन आयोग का बनाया गया अध्यक्ष, आपकी सैलरी बढ़ाने की मिली जिम्मेदारी

केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है. रंजना प्रकाश देसाई को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट में जज रह चुकीं हैं और कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का उन्होंने कुशलतापूर्वक निर्वहन किया है.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Ranjana prakash Desai India Daily
Courtesy: X

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने दिवाली के बाद केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ा तोहफा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में 8वें वेतन आयोग के गठन को औपचारिक मंजूरी दे दी गई.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस फैसले से करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों को सीधा लाभ मिलेगा. लंबे समय से नए वेतन आयोग की घोषणा का इंतजार कर रहे सरकारी कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ी राहत और खुशी की खबर है.

कैबिनेट द्वारा स्वीकृत 8वें वेतन आयोग में प्रमुख पदों पर प्रतिष्ठित हस्तियों को शामिल किया गया है:

  • जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज – अध्यक्ष
  • पुलक घोष, प्रोफेसर, आईआईएम बेंगलुरु – पार्ट-टाइम सदस्य
  • पंकज जैन, सचिव, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विभाग – सदस्य

कौन हैं जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई?

जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई सितंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट की जज नियुक्त हुई थीं और अक्टूबर 2014 में सेवानिवृत्त हुईं. इससे पहले वे बॉम्बे हाईकोर्ट में जज रह चुकी हैं. न्यायपालिका और प्रशासनिक क्षेत्र में लंबे अनुभव वाली देसाई जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की भी प्रमुख रही हैं. उन्होंने उत्तराखंड और गुजरात सरकारों के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) पर गठित समितियों का नेतृत्व भी किया है.

रिपोर्ट की समय सीमा और प्रभाव

सरकार ने 8वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 18 महीने का समय दिया है. आयोग की सिफारिशों पर विचार के बाद केंद्र सरकार अंतिम मंजूरी देगी. उम्मीद की जा रही है कि नए वेतनमान 1 जनवरी 2026 से लागू किए जाएंगे.

सरकारी सूत्रों के अनुसार, आयोग का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के वेतन ढांचे को महंगाई और आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप अद्यतन करना है ताकि उनकी क्रय शक्ति और जीवन स्तर में सुधार हो सके.