menu-icon
India Daily

8th Pay Commission: क्या है ToR जिसके बिना 8वां वेतन आयोग है अधूरा, जानें कब लागू होगा नया सैलरी स्ट्रक्चर

8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिलने के बाद अब सबके मन में ये सवाल उठ रहे हैं कि इसका क्रियान्यवन कब तक होगा? हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कीं जनवरी 2026 से केंद्रीय कर्मियों को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन रिपोर्ट पेश में होने में देरी होगी.

auth-image
Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
8th Pay Commission India Daily
Courtesy: Gemini AI

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट द्वारा 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के लिए संदर्भ की शर्तों (ToR) को मंज़ूरी मिलने के बाद, 1 करोड़ से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का इंतजार अब खत्म हो गया है. आयोग द्वारा अपने गठन की तारीख से 18 महीनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने की उम्मीद है.

केंद्रीय वेतन आयोगों का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के पारिश्रमिक ढांचे, सेवानिवृत्ति लाभों और अन्य सेवा शर्तों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करने और आवश्यक संशोधनों पर सिफारिशें देने के लिए किया जाता है. आमतौर पर, प्रत्येक वेतन आयोग की सिफारिशें लगभग दस वर्षों के अंतराल पर लागू की जाती हैं.

क्या है ToR और क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण?

हालांकि कैबिनेट ने इस साल जनवरी में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंज़ूरी दे दी थी, लेकिन ToR को अंतिम रूप देने में देरी से केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में चिंता और अनिश्चितता पैदा हो गई थी. अब कई लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं की संदर्भ की शर्तें (ToR) क्या हैं, ये क्यों महत्वपूर्ण हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात, नया वेतन ढांचा कब लागू होगा?

'संदर्भ की शर्तें' मूलतः वेतन आयोग के कामकाज का खाका होती हैं. यह कार्यक्षेत्र और उन विशिष्ट क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार करती है जहां आयोग से मूल वेतन संरचना, भत्ते और पेंशन संशोधन से लेकर सेवानिवृत्ति लाभ और सेवा शर्तों तक, सिफारिश करने की अपेक्षा की जाती है. संदर्भ की शर्तों के बिना, आयोग के पास कार्य करने के लिए कोई औपचारिक निर्देश या कानूनी मंजूरी नहीं होती. वस्तुतः, किसी अध्यक्ष या सदस्य की नियुक्ति नहीं की जा सकती, और कागज पर आयोग अस्तित्वहीन माना जाता है.

आधारभूत दस्तावेज के रूप में कार्य करती हैं 'संदर्भ की शर्तें'

संदर्भ की शर्तें किसी भी वेतन आयोग के आधारभूत दस्तावेज के रूप में कार्य करती हैं. यह न केवल एजेंडा निर्धारित करती है, बल्कि समय-सीमा और अपेक्षाएं भी निर्धारित करती है. संदर्भ की शर्तों के अभाव में, आयोग आंकड़े एकत्र नहीं कर सकता, हितधारकों के साथ बातचीत नहीं कर सकता, या आर्थिक मापदंडों का विश्लेषण नहीं कर सकता. इस प्रकार यह देरी न केवल आंतरिक प्रशासनिक योजना को बाधित करती है, बल्कि संशोधित वेतन संरचनाओं के समय पर कार्यान्वयन की प्रतीक्षा कर रहे कर्मचारियों की उम्मीदों पर भी पानी फेर देती है.

चूंकि आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के लिए संदर्भ की शर्तें (टीओआर) आज (28 अक्टूबर, 2025) अधिसूचित कर दी गई हैं, इसलिए पैनल द्वारा 18 महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है, यानी अप्रैल 2027 तक.

सिफारिशों की समीक्षा और कार्यान्वयन में कितना समय लगेगा?

समीक्षा प्रस्तुत करने के बाद, सरकार आमतौर पर सिफारिशों की समीक्षा और कार्यान्वयन में लगभग 6 महीने का समय लेती है. इसका मतलब है कि संशोधित वेतन संरचना वास्तविक रूप से 2027 के अंत या 2028 की शुरुआत तक लागू हो सकती है, हालाँकि यह 1 जनवरी, 2026 से पूर्वव्यापी रूप से प्रभावी होगी.

इन बातों का ध्यान रखेगा आयोग:

  • देश की आर्थिक स्थिति और राजकोषीय विवेकशीलता की आवश्यकता
  • विकास व्यय और कल्याणकारी उपायों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता
  • गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की गैर-वित्तपोषित लागत
  • राज्य सरकारों के वित्त पर सिफारिशों का संभावित प्रभाव, जो आमतौर पर कुछ संशोधनों के साथ सिफारिशों को अपनाती हैं
  • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध प्रचलित पारिश्रमिक संरचना, लाभ और कार्य स्थितियां