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जम्मू-कश्मीर में कब से मिलेगा मुफ्त बिजली योजना का लाभ? अब्दुल्ला सरकार ने विधानसभा में बताया पूरा प्लान

अधिकारियों ने कहा कि देरी इसलिए हुई क्योंकि पहले डीपीआर बनानी थी, फिर टेंडर जारी करने थे और यूएलए प्रणाली को सेट करना था. ये सब कागजी और प्रक्रिया वाली कमियों की वजह से अधिक समय लगा.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
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Reported By: Raman Saini
CM Omar Abdullah India Daily
Courtesy: X

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि लोगों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का मुख्यमंत्री का वादा प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत रूफटॉप सोलर सिस्टम के चालू होने के बाद ही लागू होगा.

पीडीपी के विधायक वहीद पारा के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, सरकार ने विधान सभा में बताया कि इस योजना से 2.22 लाख अंत्योदय अन्न योजना (AAY) परिवार लाभान्वित होंगे और प्रत्येक घर में 2 किलोवाट का रूफटॉप सोलर प्लांट लगाया जाएगा.

पहले ही मिल चुकी है मंजूरी

उत्तर के अनुसार, न्यू एंड रिन्यूएबल मंत्रालय ने RESCO/यूटिलिटी-लेड एग्रीगेशन (ULA) मॉडल के माध्यम से मंजूरी पहले ही दे दी है. संबंधित DISCOM द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और टेंडर प्रक्रिया वर्तमान में तैयार की जा रही है.

परियोजना एक बार चालू हो जाने पर, ये रूफटॉप सोलर सिस्टम हर योग्य परिवारों को हर महीने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करेगा. सरकार ने कहा कि ULA मॉडल यह सुनिश्चित करता है कि परियोजना आर्थिक रूप से लाभदायक बनी रहे और बिजली वितरण कंपनियों को राजस्व हानि न हो.

अधिकारियों ने कहा कि देरी इसलिए हुई क्योंकि पहले डीपीआर बनानी थी, फिर टेंडर जारी करने थे और यूएलए प्रणाली को सेट करना था. ये सब कागजी और प्रक्रिया वाली कमियों की वजह से अधिक समय लगा.

 6.52 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं

जवाब के उत्तर में यह भी बताया गया कि जम्मू-कश्मीर में अब तक 6.52 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जिनमें पिछले दो वर्षों में 2.81 लाख मीटर शामिल हैं, जो कि  पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) और प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत लगाए गए हैं.

निजीकरण के सवाल पर क्या कहा सरकार ने?

निजीकरण की अफवाहों पर स्पष्टीकरण देते हुए, सरकार ने कहा कि स्मार्ट मीटरों की स्थापना, रखरखाव या प्रबंधन का निजीकरण करने की कोई योजना नहीं है और यह काम एडवांस्ड मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOOT) मॉडल के तहत किया जा रहा है.

सरकार ने आगे कहा कि ये सर्विस प्रोवाइडर केवल परियोजना के क्रियान्वयन और संचालन के लिए लगाए गए हैं. बिजली क्षेत्र में चल रहे सुधारों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए उन पर कड़े नियामक और संविदात्मक निगरानी प्रावधान लागू हैं.