J&K government employee sacked: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन से कथित संबंधों के लिए तीन सरकारी कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया. यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में एक और कड़ा कदम है. बर्खास्त कर्मचारियों में एक पुलिस कांस्टेबल, एक स्कूल शिक्षक और एक जूनियर सहायक शामिल हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत बिना जांच के सेवा से हटा दिया गया. यह अनुच्छेद राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में ऐसी कार्रवाई की अनुमति देता है.
Jammu & Kashmir LG Manoj Sinha sacks three J&K govt employees, Malik Ishfaq Naseer, a police constable; Ajaz Ahmed, a teacher in the school education department and Waseem Ahmad Khan, a Junior Assistant in Government Medical College, Srinagar , over alleged terror links. pic.twitter.com/dbp3Na1Wvx
— ANI (@ANI) June 3, 2025
बर्खास्त कर्मचारियों की पहचान पुलिस कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर, स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक एजाज अहमद और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर सहायक वसीम अहमद खान के रूप में हुई है. ये तीनों जेल में बंद हैं और इनके खिलाफ आतंकी संगठनों के साथ सक्रिय सहयोग के पुख्ता सबूत मिले हैं. एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया, "ये कर्मचारी सक्रिय आतंकी सहयोगी थे, जो हथियारों की तस्करी, रसद आपूर्ति और सुरक्षा बलों व नागरिकों के खिलाफ आतंकी हमलों में सहायता प्रदान कर रहे थे.'
मलिक इश्फाक: पुलिस की वर्दी में विश्वासघात
2007 में जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती हुए कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर 2021 में हथियारों की तस्करी के एक मामले में संदिग्ध पाए गए. जांच में पता चला कि उनके भाई मलिक आसिफ, जो लश्कर-ए-तैयबा का प्रशिक्षित आतंकवादी था, 2018 में मारा गया था. इसके बावजूद, मलिक ने कथित तौर पर संगठन के लिए काम करना जारी रखा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "उसने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए हथियारों, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों के लिए सुरक्षित ठिकानों की पहचान की और पाकिस्तानी संचालकों के साथ जीपीएस निर्देशांक साझा किए.' मलिक ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को ये खेपें पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सितंबर 2021 में, जम्मू क्षेत्र में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी की जांच के दौरान उनका लश्कर से संबंध उजागर हुआ.
एजाज अहमद था हिज्ब-उल-मुजाहिदीन का भरोसेमंद सहयोगी
2011 में शिक्षा विभाग में शामिल हुए एजाज अहमद को हथियार, गोला-बारूद और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन की प्रचार सामग्री की तस्करी में शामिल पाया गया. नवंबर 2023 में नियमित पुलिस जांच के दौरान उन्हें उनके एक साथी के साथ गिरफ्तार किया गया, जब वे अपनी कार में हथियार और आतंकी संगठन के पोस्टर ले जा रहे थे. जांच से पता चला कि ये हथियार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के आतंकी आबिद रमजान शेख द्वारा भेजे गए थे.
वसीम अहमद खान का पत्रकार हत्याकांड से था कनेक्शन
2007 में श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर सहायक के रूप में नियुक्त वसीम अहमद खान को जून 2018 में पत्रकार शुजात बुखारी और उनके सुरक्षाकर्मी की हत्या की साजिश में शामिल पाया गया. खान ने लश्कर-ए-तैयबा और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन दोनों के लिए रसद सहायता प्रदान की और हमले के बाद आतंकवादियों को भागने में मदद की. अगस्त 2018 में श्रीनगर के बटमालू में हुए आतंकी हमले की जांच के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई.