भारतीय नौसेना जून से दिसंबर 2025 तक नौ से दस युद्धपोतों को अपने बेड़े में शामिल करेगी, जिससे उसकी समुद्री शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. इस कड़ी में पहला युद्धपोत, एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो-वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) 'अरनाला', 18 जून को विशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में शामिल किया जाएगा. नौसेना अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश युद्धपोत स्वदेशी तकनीक से निर्मित हैं.
अरनाला: स्वदेशी शक्ति का प्रतीक
अन्य युद्धपोतों की तैयारी
इस महीने के अंत तक 2016 के भारत-रूस समझौते के तहत दूसरी तलवार-श्रेणी की स्टील्थ फ्रिगेट INS तमाल को शामिल किया जाएगा. यह चार फ्रिगेट्स में से एक है, जिन्हें 2.5 अरब डॉलर के सौदे में रूस और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) ने बनाया. इसकी सहयोगी INS तुशिल को दिसंबर 2024 में रूस के यंतर शिपयार्ड में कमीशन किया गया था. इसके अलावा, हिंदुस्तान शिपयार्ड में बन रहा डाइविंग सपोर्ट शिप, मझगांव डॉक और GRSE द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट 17A (निलगिरी-श्रेणी) फ्रिगेट, और GRSE का एक बड़ा सर्वेक्षण जहाज भी शामिल होगा.
पनडुब्बी और हेलीकॉप्टर की प्रगति
जनवरी 2025 में प्रोजेक्ट 75 के तहत छठी कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी INS वागशीर को शामिल किया गया, जो डीजल-इलेक्ट्रिक तकनीक से संचालित है. प्रोजेक्ट 75I के तहत छह उन्नत हमलावर पनडुब्बियों के लिए मूल्यांकन और लागत वार्ता जारी है. साथ ही, अमेरिका से दो और MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर एक महीने में मिलेंगे, जिनमें से 24 में 13 पहले ही मिल चुके हैं.