World Alzheimer's Day 2025: क्या आप काम करते समय जरूरी बातें भूल जाते हैं ? क्या सोचने-समझने की क्षमता पहले जैसी नहीं रही ? अगर हां , तो ये संकेत हल्के में न लें. विशेषज्ञों की मानें तो ये लक्षण अल्जाइमर बीमारी की ओर इशारा कर सकते हैं. आज विश्व अल्जाइमर दिवस के मौके पर इस बीमारी को लेकर समय रहते अगर सही कदम उठाए जाएं , तो इस बीमारी से बचा जा सकता है या इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
कई एक्सपर्ट का कहना है कि एक छोटा सा 'थ्री-मिनट कॉग्निटिव टेस्ट' अल्जाइमर की शुरुआती पहचान में काफी कारगर है. इस जांच में मरीज से कुछ आसान शब्द याद करने , घड़ी का चित्र बनाने और उन्हीं शब्दों को दोहराने को कहा जाता है. इससे उसकी याददाश्त , ध्यान और सोचने-समझने की क्षमता का अंदाजा लग जाता है.
कहा जाता है कि अगर शुरुआत में ही अल्जाइमर की पहचान कर ली जाए , तो याददाश्त को काफी हद तक बचाया जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि सही लाइफस्टाइल अपनाकर इस बीमारी का खतरा कम किया जा सकता है जैसे कि नियमित व्यायाम करना , हेल्दी डाइट लेना , अच्छी नींद लेना और डायबिटीज व हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना.
अल्जाइमर का असर सिर्फ दिमाग पर नहीं , पूरे जीवन पर पड़ता है. लेकिन समय रहते पहचान और देखभाल से स्थिति काफी हद तक संभाली जा सकती है. उनका कहना है कि मानसिक और सामाजिक रूप से सक्रिय रहना , तनाव से बचना , पर्याप्त नींद लेना और संतुलित आहार इस बीमारी से बचाव में अहम भूमिका निभाते हैं.
संगीत , कला और पालतू जानवरों के साथ समय बिताना अल्जाइमर के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. इससे उनके चेहरे पर मुस्कान लौट सकती है और मानसिक तनाव भी कम होता है. आजकल 60-65 वर्ष से ऊपर के लोगों में अल्जाइमर का खतरा सबसे ज्यादा होता है. हालांकि , युवा भी आजकल भूलने की शिकायत लेकर ओपीडी में आ रहे हैं. इसका कारण तनाव , अवसाद , और मल्टीटास्किंग है. लेकिन जरूरी नहीं कि ये अल्जाइमर ही हो.
उनका कहना है कि अगर किसी के परिवार में पहले किसी को अल्जाइमर रहा हो तो उस व्यक्ति में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए नियमित जांच और सतर्कता बेहद जरूरी है.