Sudha Chandran Birthday: भारतीय टेलीविजन की जानी-मानी अदाकारा सुधा चंद्रन का नाम घर-घर में मशहूर है. पर्दे पर नेगेटिव किरदारों से पहचान बनाने वाली सुधा असल जिंदगी में हिम्मत और जज्बे की मिसाल हैं. उन्होंने कम उम्र में पैर खोने जैसा नुकसान झेला, लेकिन नकली पैर के सहारे न सिर्फ अभिनय बल्कि भरतनाट्यम नृत्य में भी नई ऊंचाइयों को छुआ.
साल 1981 में मात्र 17 साल की उम्र में सुधा एक भीषण सड़क हादसे का शिकार हो गईं. इस दुर्घटना में उनका पैर इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया कि डॉक्टरों को उसे काटना पड़ा. लेकिन सुधा ने हार नहीं मानी. नकली पैर के साथ उन्होंने डांस जारी रखा और खुद को एक स्थापित भरतनाट्यम नर्तकी बनाया. उनकी फिल्म ‘नाचे मयूरी’ उनके जीवन पर आधारित थी और इसके लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.
सुधा चंद्रन ने टेलीविजन और फिल्मों दोनों में अपनी छाप छोड़ी है. ‘कहीं किसी रोज’, ‘नागिन’ सीरीयल, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘कस्तूरी’ जैसे धारावाहिकों से वह दर्शकों के बीच पॉपुलर हुईं. वहीं फिल्मों में ‘मालामाल वीकली’, ‘झलक दिखला जा’, और कई रीजनल फिल्मों में भी उन्होंने अहम भूमिकाएं निभाईं.
सुधा की निजी जिंदगी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रही. साल 1992 में फिल्म ‘सीता सलमा सूजी’ की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात असिस्टेंट डायरेक्टर रवि डांग से हुई. मुलाकात प्यार में बदली और दोनों ने शादी का फैसला किया. लेकिन अलग-अलग धर्म होने की वजह से परिवार ने विरोध किया. आखिरकार सुधा और रवि ने चेंबूर के मुरुगन मंदिर में भागकर शादी कर ली. करीब 39 साल की शादीशुदा जिंदगी के बावजूद सुधा और रवि के कोई बच्चे नहीं हैं. सुधा बताती हैं कि, 'हम दोनों एक-दूसरे के लिए ही काफी हैं.' बच्चा गोद लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे इसमें विश्वास नहीं रखते, क्योंकि उन्हें लगता है कि बच्चों को ऐसा लगेगा मानो वे अपने माता-पिता पर बोझ हों. सुधा चंद्रन आज भी इंडस्ट्री में सक्रिय हैं और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं. उनका जीवन संदेश देता है कि मुश्किलें चाहे जितनी बड़ी हों, जज्बा और मेहनत इंसान को आगे बढ़ा ही देती है.