Heart Attack Causes: क्या आप जानते हैं कि हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण क्या है. एक ऐसी वजह है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. उसका नाम है ट्राईग्लिसराइड्स (Triglycerides).
ट्राईग्लिसराइड्स (Triglycerides) एक प्रकार की चर्बी (Fat) होती है, जो हमारे खून में पाई जाती है. आमतौर पर, जब हम ज्यादा कैलोरी वाला खाना खाते हैं, तो शरीर इसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के बजाय ट्राईग्लिसराइड्स के रूप में संग्रहीत कर लेता है. लेकिन जब इसका स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का मुख्य कारण बन सकता है.
अधिकतर लोग हृदय संबंधी बीमारियों को कोलेस्ट्रॉल से जोड़ते हैं, लेकिन शोध से पता चला है कि ट्राईग्लिसराइड्स उससे भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है.
कोलेस्ट्रॉल: शरीर में दो प्रकार का कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है-LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) और HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल). LDL धमनियों में प्लाक बनाकर ब्लॉकेज पैदा कर सकता है, जिससे दिल की बीमारियां होती हैं.
ट्राईग्लिसराइड्स: यह सीधे रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है और रक्त को गाढ़ा बना सकता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और हृदय रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
अगर शरीर में ट्राईग्लिसराइड्स का स्तर 150 mg/dL से ज्यादा हो जाता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके प्रमुख दुष्प्रभाव इस प्रकार हैं;
1. धमनियों का संकीर्ण होना: अधिक ट्राईग्लिसराइड्स से धमनियां कठोर हो सकती हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
2. स्ट्रोक का खतरा: यह रक्त संचार को प्रभावित करता है और दिमाग में रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है.
3. मेटाबोलिक सिंड्रोम: यह मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोगों का प्रमुख कारण बन सकता है.
4. पैंक्रियाटाइटिस: अधिक मात्रा में ट्राईग्लिसराइड्स पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे पैंक्रियास में सूजन (Pancreatitis) हो सकती है.
1. शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम करें.
2. नियमित व्यायाम करें (कम से कम 30 मिनट प्रतिदिन).
3. ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार लें, जैसे मछली और नट्स.
4. धूम्रपान और शराब से बचें.
5. डॉक्टर से नियमित जांच करवाएं.
ट्राईग्लिसराइड्स का उच्च स्तर हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी घातक बीमारियों को जन्म दे सकता है. यह कोलेस्ट्रॉल से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. सही जीवनशैली अपनाकर और संतुलित आहार लेकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है.