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अस्थमा या सांस की बीमारी वालों के लिए कितना सेफ है हीटर? क्या कहते हैं एक्सपर्ट

सर्दी में हीटर राहत देता है, लेकिन अस्थमा या सांस की बीमारियों वाले लोगों के लिए यह खतरा बढ़ा सकता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि हीटर हवा को सूखा बनाकर सांस की नलियों को इरिटेट कर सकता है. सही तरीके से इस्तेमाल करें तो जोखिम कम हो सकता है.

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Edited By: Babli Rautela
Breathing Problem -India Daily
Courtesy: Pinterest

दिसंबर के महीने के साथ ही देश के कई राज्यों में कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है. ठंड से राहत पाने के लिए लोग घरों में हीटर चलाना शुरू कर देते हैं. हीटर तुरंत गर्मी देता है और कमरे को कुछ ही मिनटों में गरम कर देता है. लेकिन क्या हर किसी को हीटर में बैठना चाहिए. खासकर वे लोग जिन्हें अस्थमा, एलर्जी या सांस संबंधी कोई परेशानी है.

सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ठंड के मौसम में अस्थमा और सांस की दिक्कतें पहले ही बढ़ जाती हैं. ऐसे में हीटर का गलत इस्तेमाल इन समस्याओं को और बढ़ा सकता है.

हीटर से क्या दिक्कतें हो सकती हैं?

एक्सपर्ट बताते हैं कि लगातार हीटर के सामने बैठने से कमरे की नमी बहुत कम हो जाती है. हवा सूखी होने लगती है. इसका असर त्वचा और आंखों पर पड़ता है. कई लोगों को सिरदर्द, नाक बंद होना, चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होती है.

बच्चे और बुजुर्ग ठंड और हीटर दोनों के प्रति जल्दी संवेदनशील हो जाते हैं. दिल की बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीज भी हीटर की तेज हवा और सूखे वातावरण से प्रभावित हो सकते हैं.

क्या अस्थमा वालों को हीटर का इस्तेमाल करना चाहिए ?

लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ एल एच घोटेकर बताते हैं कि अस्थमा या सांस की बीमारी वाले लोगों के लिए हीटर का इस्तेमाल कई तरीकों से खतरा बढ़ाता है. हीटर हवा में मौजूद नमी को कम कर देता है. सूखी हवा सीधे सांस की नलियों को इरिटेट करती है. इससे खांसी बढ़ सकती है, सांस फूल सकती है, सीने में घरघराहट हो सकती है और अस्थमा अटैक का जोखिम बढ़ जाता है.

हीटर चलने पर कमरे में धूल तेजी से उड़ती है. पालतू जानवरों के बाल, त्वचा के कण और अन्य एलर्जन भी हवा में फैल जाते हैं. ये एलर्जन अस्थमा पेशेंट को तुरंत ट्रिगर कर सकते हैं. बंद कमरे में हीटर चलाने पर हवा का सर्कुलेशन रुक जाता है. इससे ऑक्सीजन कम हो जाती है और कमरे में प्रदूषित हवा बढ़ जाती है. यह स्थिति सांस की बीमारी वालों के लिए और भी परेशानी वाली हो जाती है.

डॉ घोटेकर सलाह देते हैं कि अस्थमा या सांस की बीमारी वाले लोग हीटर का बहुत ज्यादा इस्तेमाल न करें. अगर ठंड बहुत ज्यादा हो तो सिर्फ आधे घंटे से ज्यादा हीटर न चलाएं. लंबे समय तक भट्ठी जैसी गर्मी लेने से परेशानी बढ़ सकती है.

हीटर का सुरक्षित उपयोग कैसे करें

अगर सर्दी बहुत ज्यादा है और हीटर चलाना जरूरी है, तो कुछ नियमों का पालन करके जोखिम कम किया जा सकता है.

  •  कमरे में हल्की वेंटिलेशन रखें

खिड़की या वेंटिलेशन थोड़ा खुला रखें. इससे कमरे में ताजी हवा आती रहती है और ऑक्सीजन कम नहीं होती.

  •  हर 20 से 30 मिनट में हीटर बंद करें

कमरा गर्म होने के बाद कुछ देर के लिए हीटर बंद कर दें. इससे हवा पूरी तरह सूखी नहीं होगी.

  •  ह्यूमिडिटी बनाए रखें

कमरे में ह्यूमिडिफायर या फिर पानी से भरा कटोरा रखें. इससे हवा में नमी बनी रहेगी और सूखी हवा सांस पर असर नहीं करेगी.

  • हीटर को सीधे पास न रखें

हीटर को शरीर के बहुत पास रखकर न बैठें. बहुत तेज गर्म हवा नाक और गले को नुकसान पहुंचाती है.

  • सोते समय हीटर न चलाएं

रात में लंबे समय तक हीटर चलाना खतरनाक हो सकता है. सोते समय शरीर को अधिक गर्मी मिलती है और एयर सर्कुलेशन पूरी तरह बंद हो जाता है, जिससे सांस की समस्या बढ़ सकती है.