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दुनिया की सबसे डरावनी फिल्म, थिएटर्स से आती थी खौफनाक चिल्लाने की आवाज, शूटिंग के समय हो गई थी 20 लोगों की मौत

दुनिया में डरावनी फिल्मों का क्रेज कितना है आप सभी जानते हैं. वो कहते हैं ना डर तो लगता है लेकिन मनोरंजन उससे ज्यादा जरूरी है. आज हम आपको दुनिया की सबसे डरावनी फिल्म के बारे में बता रहे हैं.

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Edited By: Reepu Kumari
The Exorcist Horror Movie
Courtesy: Pinteres

The Exorcist Horror Movie: फिल्मों की दुनिया में हॉरर फिल्मों का एक अलग ही आकर्षण होता है. लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जो अपनी डरावनी कहानियों और घटनाओं के कारण दर्शकों के दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ जाती हैं.

ऐसी ही एक फिल्म के बारे में आज हम बात करेंगे, जो दुनिया की सबसे डरावनी फिल्म मानी जाती है.

एक्सॉर्सिस्ट

इस फिल्म का नाम एक्सॉर्सिस्ट (The Exorcist) है. 1973 में रिलीज हुई इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, बल्कि अपने डरावने दृश्यों और कहानी के कारण इतिहास में अमिट छाप छोड़ी. फिल्म की कहानी एक मासूम लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिस पर एक शैतानी आत्मा का कब्जा हो जाता है. इस आत्मा को बाहर निकालने के लिए दो पादरी अपनी जान की बाजी लगा देते हैं.

थिएटर से आती थी चिल्लाने की आवाज

जब यह फिल्म थिएटर में प्रदर्शित हुई, तो दर्शकों के बीच ऐसा डर पैदा हुआ जो पहले कभी नहीं देखा गया था. थिएटर में बैठे लोग डर के कारण चिल्लाने लगते थे. कई बार ऐसा हुआ कि दर्शकों को बीच में ही फिल्म छोड़कर बाहर जाना पड़ा. कई लोगों का कहना था कि फिल्म देखते वक्त उन्हें अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती थीं और कुछ लोगों को तो बेहोशी तक हो गई.

शूटिंग के दौरान हुई थीं अजीब घटनाएं

एक्सॉर्सिस्ट फिल्म की शूटिंग भी कम खतरनाक नहीं थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म की शूटिंग के दौरान लगभग 20 लोगों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी. इनमें कुछ कलाकार और क्रू मेंबर्स भी शामिल थे. इस वजह से फिल्म को शापित माना जाने लगा.

शूटिंग सेट पर आग लगने जैसी घटनाएं भी हुईं, जिसके कारण फिल्म की शूटिंग में काफी देरी हुई. फिल्म के निर्देशक विलियम फ्रेडकिन ने भी इस बात को स्वीकार किया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान कई बार ऐसा महसूस हुआ कि जैसे कुछ अदृश्य ताकतें मौजूद थीं.

हॉरर का नया मापदंड

एक्सॉर्सिस्ट न केवल अपने समय की सबसे डरावनी फिल्म मानी जाती है, बल्कि इसे हॉरर फिल्मों के लिए एक मापदंड भी माना गया. इस फिल्म ने यह साबित कर दिया कि सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि भावनाओं को झकझोरने का साधन भी हो सकता है. आज भी यह फिल्म दर्शकों के बीच उतनी ही लोकप्रिय और डरावनी है, जितनी रिलीज के समय थी.