किसी भी उम्र में पीठ दर्द गंभीर परेशानी बन सकता है, और जब पारंपरिक उपचार मदद नहीं करते, तो मरीज नए विकल्प तलाशते हैं. हॉलीवुड स्टार काइली जेनर ने भी तीन साल तक चली पीठ दर्द की समस्या के बाद स्टेम सेल थेरेपी का सहारा लिया.
उनकी तरह कई लोग इस उभरती हुई थेरेपी की ओर आकर्षित हो रहे हैं. स्टेम सेल थेरेपी कैसे काम करती है, इसके जोखिम और लाभ क्या हैं, और यह किसके लिए फायदेमंद हो सकती है, इसे विस्तार से समझना जरूरी है.
स्टेम सेल थेरेपी में विशेष प्रकार की कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर में क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत, पुनर्निर्माण या पुनर्जनन में मदद करती हैं. ये कोशिकाएं व्यक्ति के अपने शरीर से या किसी मान्य दाता स्रोत से ली जा सकती हैं. थेरेपी का मुख्य उद्देश्य शरीर की प्राकृतिक हीलिंग प्रक्रिया को सक्रिय करना और सूजन को कम करना है.
स्टेम सेल कई प्रकार की कोशिकाओं में बदलने की क्षमता रखती हैं. इन्हें शरीर के उन हिस्सों में लक्षित किया जाता है, जहां मरम्मत की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. इससे चोट या रोगग्रस्त ऊतक जल्दी ठीक हो सकते हैं. यह थेरेपी शरीर की अपनी हीलिंग क्षमता को बढ़ावा देती है और कुछ रोगों में दर्द और सूजन को कम कर सकती है.
स्टेम सेल थेरेपी जोड़ों के दर्द, खेल संबंधी चोटों, गठिया, ऑटोइम्यून रोग, त्वचा की नवीनीकरण प्रक्रिया और कुछ डिजेनरेटिव बीमारियों में उपयोग की जा रही है. कुछ लोग इसे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने और एंटी-एजिंग लाभ के लिए भी अपनाते हैं. यही कारण है कि कई सेलिब्रिटी इस थेरेपी की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
थेरैपी की प्रक्रिया उपचार योजना पर निर्भर करती है. पहले स्टेम सेल का संग्रह किया जाता है, फिर लैब में प्रोसेसिंग होती है और अंत में जरूरी जगहों पर इन्हें इंजेक्ट किया जाता है. अधिकांश प्रक्रियाएं कम इनवेसिव होती हैं और आउट पेशेंट आधार पर की जाती हैं. हालांकि, संभावित जोखिम में संक्रमण, सूजन या प्रतिक्रिया न होना शामिल है. सफलता दर व्यक्ति और स्थिति पर निर्भर करती है.
हर व्यक्ति इसके लिए उपयुक्त नहीं होता. चिकित्सक उम्र, मेडिकल हिस्ट्री, जीवनशैली और रोग की गंभीरता को ध्यान में रखकर थेरेपी की सलाह देते हैं. यदि आप इसे अपनाने का विचार कर रहे हैं, तो सबसे पहले किसी योग्य और अनुभवी मेडिकल प्रोफेशनल से परामर्श लेना आवश्यक है. सही जानकारी से बेहतर और सुरक्षित निर्णय लिया जा सकता है.