भारतीय सिनेमा में कब कौन सी फिल्म चमत्कार कर जाए, यह पहले से तय नहीं होता. कभी शोले जैसी मेगा ब्लॉकबस्टर इतिहास बनाती है, तो कभी जय संतोषी मां जैसी लो बजट भक्ति फिल्म असाधारण कमाई कर सभी को हैरान कर देती है. लगभग पचास साल बाद यह नजारा फिर से देखने को मिला है. इस बार 2025 में, जब बड़े बजट और बड़े स्टार्स की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर खूब चर्चा बटोर रही थीं, तभी एक मामूली गुजराती फिल्म ने सभी को पीछे छोड़ दिया.
1975 में रिलीज हुई शोले ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड बनाए थे. लेकिन उसी दौर में कम बजट की भक्ति फिल्म जय संतोषी मां ने सौ गुना से ज्यादा प्रॉफिट कमाकर इतिहास रच दिया. यह रिकॉर्ड लगभग आधी सदी तक कोई नहीं तोड़ पाया. लेकिन 2025 में एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराता दिखा है.
अक्टूबर में रिलीज हुई फिल्म डायरेक्टर अंकित सखिया की फिल्म लालो कृष्णा सदा सहायताते ने रिलीज के साथ ही पूरे गुजरात और देश भर में चर्चा बटोरनी शुरू कर दी. मात्र पचास लाख के बजट में बनी इस फिल्म ने अब तक दुनियाभर में करीब पचहत्तर करोड़ रुपये का कलेक्शन कर लिया है. यह निवेश पर लगभग डेढ़ सौ गुना रिटर्न है, जो इसे 2025 की सबसे मुनाफे वाली भारतीय फिल्म बनाता है.
साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली तीन बड़ी फिल्मों ने भी लालो जैसी शानदार प्रॉफिट रेशियो नहीं बनाई है. कंतारा चैप्टर वन का बजट एक सौ पच्चीस करोड़ रुपये था और उसने आठ सौ पचास करोड़ रुपये कमाए. यानी लगभग सात गुना. छावा ने नब्बे करोड़ के बजट के मुकाबले आठ सौ आठ करोड़ रुपये कमाकर नौ गुना प्रॉफिट कमाया. सैयारा ने पैंतालीस करोड़ के बजट में छह सौ से ज्यादा करोड़ कमाकर करीब तेरह गुना रिटर्न हासिल किया. इसके अलावा महावतार नरसिम्हा और लोका चैप्टर वन जैसी फिल्मों ने भी अपने बजट के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन लालो की 150x सफलता के सामने सब फीकी पड़ गईं.
लालो की सफलता के पीछे इसका भावनात्मक और भक्ति से जुड़ा मजबूत कंटेंट माना जा रहा है. फिल्म एक रिक्शा ड्राइवर के जीवन की कहानी है जो अपने troubled past का सामना करता है और एक फार्महाउस में फंसने के बाद उसे भगवान कृष्ण के दर्शन होते हैं. फिल्म का प्रस्तुतिकरण सरल है, लेकिन दर्शकों को बेहद प्रभावी लगा. यही कारण है कि यह सिर्फ तीन हफ्तों में इतिहास की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली गुजराती फिल्म बन गई.