Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव से पहले आज शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न उनके पोते जयंत सिंह को सौंपा. इसके बाद मेरठ शहर एक बार फिर चर्चा में आ गया है, क्योंकि चौधरी चरण सिंह का ताल्लुक मेरठ से था. राजनीति की बात करें तो सपा, बसपा और भाजपा तीनों दलों ने यहां से चेहरों पर दांव लगाया है. बीजेपी ने टीवी सीरियल रामयण के राम यानी अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है.
सपा गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट भानु प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बसपा ने मेरठ सीट से उद्योगपति देवव्रत त्यागी को प्रत्याशी बनाया है. तीनों दलों ने इस बार तीन नए चेहरों पर भरोसा जताया है. इसके बाद से यह साफ है कि अबकी बार मेरठ में कड़ा चुनावी मुकाबला होने वाला है. इस सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है.
मेरठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र रहा है, इसीलिए यहां की चुनावी हलचल हमेशा से देखने लायक होती है. यह शहर यूपी में जाटलैंड का केंद्र है. यहां भारतीय सेना की बड़ी छावनी है. इस शहर में कुल चार विश्वविद्यालय हैं. मेरठ लोकसभा सीट के अंदर पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें हापुड़, किठौर, मेरठ शहर, मेरठ कैंट, मेरठ दक्षिण शामिल है. 2019 के आम चुनाव में यहां से बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल चुनाव जीते थे.
साल 2019 के आंकड़ों के मुताबिक मेरठ सीट में 5 लाख 64 हजार मुस्लिम हैं. यहां 25 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी है. इसके अलावा जाटों की आबादी करीब 3 लाख 14 हजार 788 है. अगर बाल्मीकि समाज की बात करें तो यहां इनकी संख्या 58,700 के आसपास है. मेरठ लोकसभा सीट पर ब्राह्मण समाज 1 लाख 18 हजार, वैश्य 1 लाख 83 हजार, त्यागी समाज की आबादी 41 हजार है. पिछड़े वर्गों में जाटों की आबादी करीब एक लाख 30 हजार के आसपास है. गुर्जर समुदाय के लोगों का भी यहां खासा जोर है. गुर्जरों की आबादी करीब 56,300 है.
मेरठ लोकसभा सीट 1952 से अस्तितिव में है. पहले इसको 3 लोकसभा क्षेत्रों में बांटा गया था. मेरठ जिला (पश्चिम), मेरठ जिला (दक्षिण), मेरठ जिला (उत्तर पूर्व). इन तीनों ही सीट पर कांग्रेस जीती. 1957 में तीनों लोकसभा सीटों को एक कर मेरठ लोकसभा बना दी गई. इस सीच पर तीन बार लगातार जीतने वाली कांग्रेस को 1967 में पहली बार हार का सामना करना पड़ा. 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के एमएस भारती ने कांग्रेस के शाहनवाज खान को हराया. यह पहली बार था जब कांग्रेस मेरठ सीट से हारी थी. कांग्रेस ने 1971 में फिर शाहनवाज खान को उतारा. पांचवीं लोकसभा में शाहनवाज फिर जीते. छठवीं लोकसभा चुनाव में बीएलडी के कैलाश प्रकाश ने शाहनवाज खान का हराया.
1980 में कांग्रेस ने नई उम्मीदवार मोहसिना किदवई को मेरठ सीट से उतारा. 1980 और 1984 में लगातार दो बार मोहसिना यहां से सांसद बनीं. हालांकि 1989 में मोहसिना को हार का सामना करना पडा. 1991 में बीजेपी ने अमर पाल सिंह को उतारा वह 1991, 1996, 1998 में लगातार तीन बार सांसद भी चुने गए.