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'चुनाव के बीच बंद हो रहे YouTube चैनल, मंत्रालय दे रहा निर्देश,' क्यों लग रहे हैं ऐसे आरोप? समझिए कहानी

YouTube ने भारत में लोकप्रिय कई न्यूज चैनलों पर नकेल कसा है. कुछ न्यूज चैनल डिलीट कर दिए गए हैं. YouTube ने कुछ चैनलों को कम्युनिटी स्टैंडर्ड की वजह से बैन किया है तो कुछ चैनलों को सरकार के निर्देश पर डिलीट किया है. आइए जानते हैं बीते कुछ दिनों से क्यों बंद हो रहे हैं यूट्यूब चैनल.

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Abhishek Shukla
चुनाव के बीच YouTube चैनल हो रहे बंद.
Courtesy: तस्वीर- इंडिया डेली

भारत में चुनावी आचार संहिता लागू है. देश के अहम फैसले, अब देश की सत्तारूढ़ सरकार नहीं ले रही है. बड़े फैसले अब चुनाव आयोग के निर्देश पर लिए जा रहे हैं. विपक्षी पार्टियों का दावा है कि सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वाले यूट्यूब (YouTube) चैनल्स को जानबूझकर डिलीट या बैन किया जा रहा है. विपक्ष का कहना है कि केवल उन्हीं चैनलों को निशाना बनाया जा रहा है, जिन्हें केंद्र सरकार में खामियां नजर आती हैं. 

ऐसा ही एक न्यूज चैनल है बोलता हिंदुस्तान. बोलता हिंदुस्तान को बंद कर दिया गया है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को चुनाव आयोग के सामने उठाया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी कहा है कि हम चुनाव आयोग से न्यूज चैनल बैन होने के मुद्दे को उठाएंगे. चुनाव के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी के साथ समझौता नहीं किया जाएगा.

सूचना प्रसारण मंत्रालय के आदेश पर बंद हो रहे चैनल!
बोलता हिंदुस्तान के फाउंडर हसीन रहमानी और संपादक समर राज ने दावा किया है कि YouTube ने उनका चैनल, सूचना प्रसारण मंत्रालय के निर्देश पर बंद किया है, जबकि देश में आचार संहिता लागू है. उन्होंने एक लेटर भी शेयर किया है, जिसमें YouTube ने कहा है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय के आदेश पर चैनल को डिलीट किया जा रहा है.

बोलता हिंदुस्तान की ओर से जो लेटर शेयर किया गया है, उसका अनुवाद पढ़िए-

'हेलो, हमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय से आपके चैनल को ब्लॉक करने का निर्देश मिला है. आपके चैनल को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 के रूल 15 (2) और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के धारा 69ए के तहत  ब्लॉक किया जा रहा है. सरकार की तरफ से जो नोटिस मिला है, वह गोपनीय है. हम उसे आपसे अभी शेयर नहीं कर सकते हैं. MIB इस URL पर जल्द ही ऑर्डर जारी कर सकता है. आप MIB पर फीडबैक और अपने कंटेंट की संवैधानिकता साबित कर सकते हैं. आप [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं. हम यहां के स्थानीय कानूनों के चलते बिना अगले नोटिस के ब्लॉक कर रहे हैं.'

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कुछ ऐसा ही ऑर्डर YouTube चैनल नेशनल दस्तक को मिला है. नेशनल दस्तक ने इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया है. नेशनल दस्तक के संपादक शंभु ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ बोलते हैं, इस वजह से हम पर एक्शन लिया जा रहा है. हम चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करेंगे और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेंगे. लोकतांत्रिक आवाजों को दबाना गलत है. ऐसा हमारे साथ जानबूझकर किया जा रहा है.

बोलता हिंदुस्तान के फाउंडर हसीन रहमानी ने दावा किया कि Youtube चैनल आर्टिकल 19 को भी ऐसा ही एक नोटिस मिला है. उसके संपादक नवीन कुमार से जब हमने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि हमारा मामला कोर्ट में है, इसलिए हम इस पर अभी कुछ विस्तार से नहीं बता सकते.


 

क्या है बोलता हिंदुस्तान का पक्ष?
बोलता हिंदुस्तान के फाउंडर हसीन रहमानी ने कहा, 'यूट्यूब की ओर से कहा जा रहा है कि उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय से ब्लॉक करने का निर्देश मिला है. यूट्यूब ने स्पष्ट शब्दों में इसे साफ किया है. हसीन रहमानी ने कहा कि अगर चुनावों की वजह से आदर्श आचार संहिता लागू है तो सूचना प्रसारण मंत्रालय कैसे आदेश जारी कर सकता है. यह आचार संहिता का उल्लंघन है. हमने यूट्यूब के किसी भी कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन नहीं किया है. हमारे यूट्यूब पर हजारों वीडियो हैं. हम निष्पक्ष चैनल हैं, हमें सरकार की आलोचना से परहेज नहीं है. हम सरकार के साथ नहीं है इस वजह से एक्शन लिया गया है. हमारा 8 साल पुराना चैनल, एक आदेश पर डिलीट हो जाता है, हमें कोई नोटिस भी नहीं मिलता. यह पक्षपातपूर्ण रवैया है.

हसीन रहमानी ने कहा कि हम इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग से मिलेंगे. उन्होंने दावा किया, 'कांग्रेस का एक डेलीगेशन इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग के पास गया. चुनाव आयोग से जब इस मुद्दे का जिक्र किया गया तो आयोग ने कहा कि मंत्रालय ऐसा आदेश कैसे दे सकता है, हम जांच करेंगे.' 

बोलता हिंदुस्तान के संपादक समर राज ने कहा, 'अगर Youtube हमारे किसी वीडियो को येलो मार्क करता, हम हटा देते थे. हमारे सारे वीडियोज पर ग्रीन सिग्नल थे. बिना किसी नोटिस के हमारे चैनल को डिलीट कर दिया. हम केंद्र की खामियों को उजागर करते थे. हम हकीकत बताते थे तो हमारे चैनल को ही डिलीट कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने नाम लेकर कुछ चैनलों और एंकरों को लेकर चिंता जताई थी, उन पर कोई एक्शन नहीं हुआ, हमें ही बैन कर दिया गया.' 

समर राज ने कहा, 'हम खामियों को उजागर करते हैं. हम गलत को गलत कहते हैं. हमारे चैनल को राजनीति की वजह से डिलीट किया गया है. यह पॉलिटिकल एक्शन है. हम वैकल्पिक मीडिया हैं, हर खबर न्यूज चैनल नहीं दिखाता है, हम दिखाते हैं. हमें राजनीति के तहत डिलीट कर दिया गया.'   

बोलता हिंदुस्तान के फाउंडर हसीन रहमानी ने कहा कि वे अपने साथियों के साथ चुनाव आयोग में गुहार लगाने पहुंचेंगे. वे चुनाव आयोग से मंत्रालय और यूट्यूब के इस एक्शन के बारे में शिकायत करेंगे. उनका दावा है कि कांग्रेस उनकी कानूनी मदद करने के लिए तैयार है. 

क्या आचार संहिता लागू होने पर भी एक्शन ले सकता है मंत्रालय?
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड विशाल अरुण मिश्र से जब हमने सवाल किया कि क्या आचार संहिता लागू होने के दौरान मंत्रालय एक्शन ले सकता है, तो उन्होंने कहा, 'देश में आचार संहिता लागू होने के बाद, कोई भी मंत्रालय, ऐसे आदेश नहीं जारी कर सकता है. आचार संहिता के दौरान केंद्रीय मंत्रालयों के पास नीतिगत फैसले लेने के अधिकार नहीं होते. अगर आपातकालीन स्थिति न हो तो बिना चुनाव आयोग की सहमति के ऐसे फैसले नहीं लिए जा सकते हैं.' 

केंद्र का कौन सा कानून बना है Youtube चैनलों के गले की फांस?
केंद्र सरकार फरवरी 2021 में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रूल्स लेकर आई, जिसमें डिजिटल मीडिया पर नजर रखने के लिए कुछ प्रावधान तय किए गए थे. एक तरह से ये कानून डिजिटल सेंशरसिप पर काम करते हैं.

IT एक्ट 2000 की धारा 69ए के मुताबिक सरकार, ऐसे किसी सूचना को हटा सकती है, जिनकी वजह से भारत की संप्रभुता और एकता के लिए खतरा पैदा हो, भारत की सुरक्षा प्रभावित हो, राज्य की सुरक्षा प्रभावित हो रही हो, किसी देश के साथ रिश्ते प्रभावित होते हों, पब्लिक ऑर्डर का उल्लंघन होता हो.

IT रूल्स 2021 की धारा 69ए के साथ, आईटी रूल्स 2021 15 (2) के तहत एक्शन लिया गया है. इसके मुताबिक मुताबिक अगर ब्रॉडकास्टिंग कमीशन को लग जाए कि आईटी एक्ट की धारा 69ए को लागू करने की जरूरत है तो सक्षम अधिकारी सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव के आदेश से किसी पब्लिशर, एजेंसी या सरकार को, जहां से डिजिटल माध्यम से जानकारियां शेयर की जाती हों, वहां से हटाने का आदेश जारी कर सकता है, उसे ब्लॉक कर सकता है, या रोक सकता है.

अभी जिन यूट्यूब चैनलों पर गाज गिरी है, अगर सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से ऐसे आदेश जारी किए गए हैं तो इन्हीं कानूनों के तहत किए गए हैं. अब ये आदेश वैध हैं या नहीं, इसका निर्णय चुनाव आयोग ही कर सकता है.



नोट: ये लेटर सही हैं या गलत, इसकी पुष्टि इंडिया डेली लाइव नहीं करता है. यह पीड़ित पक्ष बोलता हिंदुस्तान और नेशनल दस्तक का दावा है.