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Lok Sabha Elections 2024: कहां जाता है चुनाव में पकड़ा जाने वाला करोड़ों का कैश? क्या होता है जब्त शराब का अंजाम?

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में बस 10 दिनों का वक्त है. राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार में लगी हैं, तो वहीं इलेक्शन कमीशन लगातार राजनीतिक पार्टियों के चुनावी कार्यक्रमों समेत कैश और शराब तस्करी पर भी नजर बनाए हुए हैं. क्या आप जानते हैं कि चुनाव के दौरान पकड़े गए शराब और कैश का क्या होता है? आइए, आपको बताते हैं.

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What does the Election Commission do with the cash seized from liquor

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव आयोग ने 3 दिन पहले मध्य प्रदेश के झाबुआ में भारी मात्रा में कैश और चांदी की सिल्लियां बरामद की थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयोग की टीम ने एक प्राइवेट बस से करीब 1.38 करोड़ कैश और 22.3 किलोग्राम चांदी बरामद किया था. इसके अलावा, दो दिन पहले तमिलनाडु के भाजपा उम्मीदवार के पास से आयोग की टीम ने 4 करोड़ रुपये कैश जब्त किए थे. चुनाव आते ही ऐसे मामले लगातार सामने आते हैं. इसके अलावा, चुनाव आयोग कई जगहों पर शराब की खेप भी पकड़ता है. क्या आपको पता है कि चुनाव आयोग जब्त कैश और पकड़े गए शराब की खेप का क्या करता है?

7 चरणों में होने वाले आम चुनाव के लिए पहले फेज की वोटिंग 19 अप्रैल को, जबकि आखिरी यानी 7वें फेज की वोटिंग 31 मई को होगी. चुनाव के नतीजे 4 जून को आएंगे. चुनाव की तारीखों की घोषणाओं के तुरंत बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है, जिसके बाद राजनीतिक पार्टियों के अलावा चुनाव आयोग की टीम में अलग-्अलग राज्यों में मुस्तैदी से तैनात हो जाती है. इस दौरान आयोग की टीम कैश के साथ-साथ शराब भी जब्त करती है. 

दरअसल, चुनाव आयोग की ओर से चुनाव लड़ने के लिए खर्च की सीमा तय की गई होती है. खर्च की जितनी लिमिट होती है, उससे कहीं ज्यादा खर्च राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार कर देते हैं. कहा जाता है कि ये सब खर्च उम्मीदवार की ओर से नहीं दिखाया जाता है.

चुनाव आयोग की जब्ती टीम का पहले स्ट्रक्चर समझ लीजिए

चुनाव आयोग, वोटिंग के दौरान और उससे पहले फ्रीबीज पर नजर रखने के लिए जिस टीम को तैनात करता है, उसमें एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट से लेकर सीनियर पुलिस ऑफिसर, लोकल पुलिस टीम, वीडियोग्राफर और हथियारबंद दस्ता तक शामिल होता है. इनका काम अवैध कैश, फ्रीबीज से जुड़े सामान को जब्त करना होता है. जैसे ही इस तरह की गतिविधियों के बारे में इन्हें जानकारी मिलती है, ये उसे जब्त कर सीज कर लेते हैं. जब्त करने से लेकर सीज करने तक की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग की जाती है.  

जब्ती के बाद ऐसे शुरू होता है प्रोसेस

मान लीजिए कि किसी अमित राय (काल्पनिक नाम) से तीन करोड़ रुपये का कैश वोटिंग के दौरान या वोटिंग से पहले मिलता है, तो आयोग की टीम सबसे पहले इसके सोर्स के बारे में जानकारी जुटाती है. अगर अमित राय इसकी प्रॉपर जानकारी नहीं दे पाते हैं तो रकम को जब्त कर लिया जाता है. संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज की जाती है. सुनवाई के दौरान अमित राय को साबित करना होगा कि बरामद किया गया कैश इलेक्शन के लिए नहीं था, तो वो पैसा वापस ले सकता है, अगर साबित नही कर पाया तो फिर रकम जब्त हो जाएगी. 

अगर किसी के पास से पकड़े गए कैश पर दावा सत्यापित नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में जब्त कैश को जिस राज्य में पकड़ा गया है, उसके सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है. वहीं, चुनाव के दौरान पकड़ी गई शराब को बाद कुचलकर नष्ट कर दिया जाता है. 

अब सवाल ये कि चुनाव के दौरान कोई कितना कैश लेकर चल सकता है?

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद और मतदान के नतीजे आने तक एक शख्स 49 हजार रुपये लेकर कहीं आ जा सकता है. अगर इससे अधिक कैश आपको लेकर कहीं जाना है, तो इसके सोर्स से लेकर कहां खर्च किया जाना है, जैसे तमाम डॉक्युमेंट्स साथ रखना होगा. अगर आप डॉक्युमेंट्स नहीं रखते हैं, तो परेशानी में पड़ सकते हैं. 

इसी तरह, 50 हजार रुपये की कीमत की ज्वैलरी और 10 हजार रुपये तक के गिफ्ट लेकर आसानी से आ जा सकते हैं. इससे अधिक की कीमत की ज्वैलरी और गिफ्ट पर आपको इसके डॉक्युमेंट्स रखने होंगे.

अगर आपको 10 लाख रुपये इलाज खर्च के लिए ले जाना हो तो?

अगर आपके घर में कोई बीमार है और इलाज खर्च के लिए 10 लाख रुपये कैश ले जाना है, तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं. आपको संबंधित मरीज की जानकारी वाला डॉक्युमेंट्स, अस्पताल का डॉक्युमेंट्स अपने साथ रखना होगा. अगर इससे अधिक कैश है तो फिर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पूरी तरह से जांच पड़ताल करेगा.