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समाजवादी या परिवारवादी? चाचा, भाई, पत्नी और भाभी, सब राजनेता, कैसा है अखिलेश यादव का समाजवाद?

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव का पूरा कुनबा चुनावी अखाड़े में उतरा है. भाई से लेकर चचेरे भाई तक, सब यूपी की सियासत के अहम चेहरे है. सपा, समाजवादी है लेकिन इस समाजवाद में अखिलेश यादव का परिवार वाद हावी है.

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Abhishek Shukla
शिवपाल यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, रामगोपाल यादव.
Courtesy: इंडिया डेली.

उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा कौन सा है? किस परिवार के सदस्य सबसे ज्यादा सांसद और विधायक हैं? कौन सा परिवार ऐसा है, जिसका हर सदस्य किसी न किसी राजनीतिक ओहदे पर बैठा है? अगर यूपी की सियासत में जरा भी दिलचस्पी होगी तो आप इस परिवार को जानते होंगे. यह परिवार किसी और का नहीं, मुलायम सिंह यादव का परिवार है.

मुलायम सिंह, समाजवादी पार्टी के संस्थापक थे. उन्होंने संघर्षों से इस पार्टी को खड़ा किया, यह पार्टी दावा करती है कि इसके प्रतीक पुरुष डॉ. राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र जैसे नेता रहे हैं. उनके सिद्धांतों पर चलने का दावा करने वाली सपा, परिवारवाद के जाल में बुरी तरह उलझी है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने चुनावी सभाओं में सपा के परिवारवाद पर सवाल खड़े करती रही है. 

जिस परिवारवाद और सामंती व्यवस्था के खिलाफ इस पार्टी की नींव पड़ी, वह नींव, बनने के बाद लगातार कमजोर होती गई. समाजवादी पार्टी के नेता समाजवादी होने का दावा करते हैं लेकिन यह पार्टी कितनी समाजवादी है, आप खुद तय कर लीजिए.

क्यों सपा है परिवारवादी पार्टी? खुद देख लीजिए 

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव रहे हैं. पार्टी में कई वरिष्ठ नेताओं के होने के बाद इस पार्टी पर अपना अधिकार जमाया उनके बेटे अखिलेश यादव ने. जब मुलायम सिंह संघर्ष कर रहे थे, तब से शिवपाल उनके मजबूत हाथ बने हुए थे. मुलायम सिंह पार्टी की रणनीति तैयार करते तो शिवपाल यादव, संगठन संभालते.

अखिलेश यादव, साल 2012 के बाद पार्टी पर हावी हो गए. शिवपाल सिंह की भूमिका सिमटी, वे नाराज हुए अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़े लेकिन रूठे चाचा को अखिलेश यादव ने अब मना लिया है. उनके बेटे आदित्य यादव, सपा के टिकट पर बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 

यह सिर्फ बानगीभर है. अखिलेश का पूरा कुनबा राजनीति में है. मुलायम सिंह यादव के प्यारे भाई शिवपाल यादव, अभय राम सिंह यादव, रतन सिंह यादव, राजपाल सिंह यादव और चचेरे भाई रामगोपाल यादव, राजनीति में सक्रिय रहे हैं. रतन और अभय राम यादव का राजनीति से उतना वास्ता नहीं रहा लेकिन इनके बेटे राजनीति में सक्रिय हैं. 

अखिलेश यादव, खुद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उनकी पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं. उनके भाई प्रतीक यादव राजनीति में सक्रिय नहीं हैं लेकिन उनकी पत्नी अपर्णा यादव पहले सपा में थीं. किसी बात को लेकर अपने घर से नाराज हुईं तो बीजेपी में शामिल हो गईं.

शिवपाल यादव, सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. उनकी पत्नी सरला यादव, जिला सहकारी बैंक इटवा की राज्य प्रतिनिधि हैं. वे राजनीति में नहीं हैं लेकिन उनके बेटे आदित्य यादव, अब बदायूं से सांसद पद के दावेदार हैं.

मुलायम सिंह के भाई अभय राम यादव का राजनीति से वास्ता अब नहीं है लेकिन उनके बेटे धर्मेंद्र यादव, पूर्व सांसद रहे हैं. धर्मेंद्र यादव की पत्नी संध्या यादव, सपा महिला सभा की राष्ट्रीय सचिव हैं. धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

मुलायम सिंह यादव के भाई रतन सिंह यादव के बेटे तेज प्रताप यादव, पूर्व सासंद रहे हैं. अखिलेश के चाचा राजपाल सिंह यादव तो राजनीति में सक्रिय नहीं हैं लेकिन अंशुल यादव सपा की बैठकों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और राजनीति का ककहरा सीख रहे हैं. मुलायम सिहं यादव के चचेरे भाई राम गोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं. वे अखिलेश यादव के सबसे करीबी चाचा हैं. 

रामगोपाल यादव सपा में जनरल सेक्रेट्री हैं. कहा जाता है कि अखिलेश यादव कुछ भी बिना उनकी सलाह लिए नहीं करते हैं. वे साल 1992 से ही सांसद हैं.  उनके बेटे अक्षय यादव, फिरोजाबाद से सांसद रहे हैं. भाई अखिलेश यादव के साथ वे साए की तरह रहते हैं. अक्षय, एक बार फिर यहां से चुनावी मैदान में हैं.

यह कैसा समाजवाद है?
समाजवादी कुनबे का ये हाल है. समाजवाद पार्टी के शीर्ष पदों पर कोई भी चेहरा ऐसा नहीं है जो मुलायम सिंह यादव के परिवार से न हो. आजम खान जैसे दिग्गज नेता हाशिए पर जा चुके हैं. स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे नेताओं ने पहले ही किनारा कर लिया है. शायद की कोई दूसरा ऐसा शफीकुर रहमान बर्क अब इस दुनिया में नहीं हैं. पार्टी के सचिव से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक, सब अखिलेश यादव का परिवार ही है.

भारतीय जनता पार्टी के नेता तो दावा भी कर रहे हैं कि यह समाजवादी नहीं, परिवारवादी पार्टी है. आंकड़े भी कमाल के हैं. सांसद और विधायक मुलायम कुनबे से हैं. शायद यही वजह है कि बीजेपी अपनी चुनावी सभाओं में सपा पर जमकर बरसती है. 

अगर मोदी की आजमगढ़ रैली याद हो तो वहां प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आजमगढ़ की जनता ने भी दिखा दिया कि परिवार के लोग जिसे अपना गढ़ समझते थे उसे दिनेश जैसा नौजवान ढहा देता है. इसलिये परिवारवादी लोग इतने बौखलाए हुए है कि आए दिन मोदी को गाली दे रहे हैं, ये लोग कह रहे हैं कि मोदी का अपना परिवार नहीं है, पीएम मोदी ने कहा कि ये लोग भूल जाते हैं कि देश की 140 करोड़ जनता मोदी का परिवार है.' बीजेपी ने इस परिवारवाद के खिलाफ मोदी का परिवार मिशन भी लॉन्च कर दिया है. मोदी के परिवार में वे 140 करोड़ जनता को अपना परिवार मानने का दावा करते हैं.