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कॉमेडी में पास, राजनीति में फेल, ऐसे कैसे नेता बनेंगे श्याम रंगीला? वाराणसी से खारिज हुआ पर्चा

Varanasi Lok Sabha Seat: यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए पहुंचे श्याम रंगीला का पर्चा खारिज हो गया है और अब वह प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं.

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Shyam Rangeela
Courtesy: Social Media

श्याम रंगीला का नाम पहली बार चर्चा में आया तो वह पीएम नरेंद्र मोदी की मिमिक्री करते दिखे थे. अच्छी मिमिक्री कर रहे श्याम रंगीला को लोगों ने हाथों-हाथ लिया. यहीं से श्याम रंगीला ने पीएम मोदी की मिमिक्री को पकड़ लिया और इसी बहाने उन पर व्यंग्य भी कसते रहे. यह व्यंग्य देखते ही देखते विरोध में बदल गया और विरोध भी ऐसा कि राजस्थान के रंगीला यूपी के वाराणसी में गुजरात के नरेंद्र मोदी को चुनौती देने पहुंच गए. वाराणसी लोकसभा सीट से दो बार के सांसद नरेंद्र मोदी को श्याम रंगीला चुनौती दे पाते, उससे पहले ही उनका पर्चा खारिज हो गया. अब श्याम रंगीला सत्ताधारी बीजेपी और प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं और अपनी मायूसी व्यक्त कर रहे हैं.

अपना नामांकन कैंसल होने के बाद श्याम रंगीला ने एक ट्वीट में लिखा है, 'वाराणसी से नहीं लड़ने देंगे ये तय था, अब साफ हो गया. दिल ज़रूर टूट गया है, हौसला नहीं टूटा है. आप सबके सहयोग के लिए शुक्रिया. मीडिया और शुभचिंतकों से निवेदन है कृपया अभी कॉल ना करें, जो भी सूचना होगी यहां देता रहूंगा, शायद अब थोड़ी देर बातचीत करने की इच्छा नहीं है.' श्याम रंगीला ने नामांकन रद्द होने पर अपना वीडियो बयान भी जारी किया है.

क्यों रद्द हो गया श्याम रंगीला का नॉमिनेशन?

श्याम रंगीला ने अपने वीडियो में कहा है, 'हमें दो चीजों के लिए कहा गया था. पहली कि हमने एफिडेविट नहीं दिया और दूसरी कि शपथ नहीं ली. हम वापस निकले तो वकील ने देखा कि एफिडेविट नहीं है. हमें 14 तारीख के 11 बजकर 59 मिनट तक का समय था. हम 10 बजे एफिडेविट लेकर पहुंच भी गए थे लेकिन डीएम साहब ने यह कहकर भगा दिया कि क्या ये पिकनिक स्पॉट है जो यहां घूमने आ गए हो.'

इस वीडियो के मुताबिक, श्याम रंगीला और उनके साथ कुछ अन्य लोग रात के लगभग 10 बजे के आसपास डीएम के दफ्तर पहुंचे थे. श्याम रंगीला का कहना है कि उन्हें सुबह आने को कहा गया. इसके बाद ऑलनाइल पोर्टल पर लिखा गया कि श्याम रंगीला ने एफिडेविट नहीं दिया, इसलिए नामांकन खारिज कर दिया गया. 

'मैं जीतने तो निकला ही नहीं था...'

श्याम रंगीला ने एक और ट्वीट में लिखा है, 'कल 27 नामांकन जमा हुए और आज 32 रिजेक्ट हो गए. हंसी आ रही है चुनाव आयोग पर, हंस लूं क्या? या रो लूं.' श्याम रंगीला ने लोगों से अपील की है कि उन्हें फिलहाल फोन न किया जाए. एक अन्य वीडियो में श्याम रंगीला ने कहा कि उन्हें रोना आ रहा है लेकिन वह रोएंगे नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि वह जीतने नहीं निकले थे, वह सच्चाई दिखाने निकले थे और वही दिखा रहे हैं.

हालांकि, श्याम रंगीला के केस से यह स्पष्ट है कि कानूनी दांवपेंच और राजनीति के इस पहले ही खेल में वह कच्चे साबित हुए हैं. अक्सर चुनाव में देखा जाता है कि बड़े-बड़े नेता भी दो-तीन सेट में अपना नामांकन भरते हैं. जिससे कि अगर किसी भी वजह से कोई एक पर्चा खारिज हो जाए तो वह चुनावी रेस में बचा रहे. बता दें कि वाराणसी लोकसभा सीट से कुल 55 पर्चे दाखिल किए जिसमें से सिर्फ 17 स्वीकार किए गए हैं और 38 खारिज हो गए हैं. 

इसी सीट से चुनाव लड़ रहे पीएम नरेंद्र मोदी ने कुल 4 सेट और कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय ने 4 सेट में नामांकन दाखिल किया है. बसपा के प्रत्याशी अतहर जमाल लारी ने दो सेट और कई अन्य प्रत्याशियों ने भी दो-दो सेट में नामांकन भरा है. जिन लोगों के नामांकन खारिज हुए उनमें से लगभग सभी ने एक-एक सेट में ही नामांकन दाखिल किया था.

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