राजधानी दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो चुका है. दिल्ली की सातों सीटों पर लगातार दो बार से काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को चुनौती देने के लिए इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने हाथ मिला है. AAP-कांग्रेस के इस गठबंधन को भांपते हुए बीजेपी ने अपने 6 मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए. मनोज तिवारी इकलौते ऐसे सांसद हैं जो अपना टिकट बचा पाए. अब मनोज तिवारी को चुनौती देने के लिए उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस पार्टी ने अपने फायर ब्रैंड नेता और प्रवक्ता कन्हैया कुमार को मैदान में उतार दिया है.
दिल्ली की सीमा पर बसी यह सीट साल 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं और यूपी-बिहार से आकर दिल्ली में बसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. दो बार से बीजेपी इसका फायदा उठा भी रही है और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी लगातार दो बार से चुनाव जीत रहे हैं. तीसरी बार भी सिर्फ वही ऐसे सांसद रहे जो अपना टिकट बचा पाए जबकि बीजेपी में ही टिकट के कई दावेदार थे.
मनोज तिवारी का क्या है माहौल?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी मोदी लहर में बाजी मार ले गए थे. नई नवेली बनी आम आदमी पार्टी के प्रोफेसर आनंद कुमार ने उन्हें कड़ी टक्कर जरूर दी लेकिन मनोज तिवारी चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 2019 में मनोज तिवारी के मुकाबले पूर्व सीएम शीला दीक्षित उतरीं लेकिन मनोज तिवारी की जीत का अंतर और बढ़ गया. 10 सालों में मनोज तिवारी ने खुद को इस सीट पर स्थापित किया है और लगातार सक्रिय भी रहे हैं.
कन्हैया कुमार करेंगे करिश्मा?
जेएनयू की छात्र राजनीति से कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता तक का सफर तय करने वाले कन्हैया कुमाल साल 2019 में बिहार की बेगूसराय सीट से लेफ्ट के उम्मीदवार थे. हालांकि, उसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए और अब दिल्ली से चुनाव लड़ रहे हैं. कन्हैया कुमार के नाम का ऐलान काफी देरी से हुआ है. हालांकि, वह अपने तेजतर्रार बयानों और मजबूत तर्कों की वजह से युवाओं के बीच अपनी बात ठोंक के रखते हैं. उनके ऊपरी यहां बाहरी का ठप्पा भी लग सकता है.
क्या है नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का गणित?
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 8 सीटें जीती थीं. इसमें से 3 विधानसभा सीटें इसी नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में आती हैं. बाकी की 7 सीटों पर AAP का कब्जा है. 2020 के दिल्ली दंगों के बाद से मुस्लिम मतदाताओं में AAP को लेकर थोड़ी नाराजगी भी है. शायद यही वजह है कि AAP ने यह सीट कांग्रेस को आराम से दे दी. इस सीट पर 22 लाख से ज्यादा मतदाता हैं.
इसमें से 23 पर्सेंट मुस्लिम, 16 पर्सेंट दलित, 20 पर्सेंट ओबीसी निर्णायक भूमिका में हैं. इस सीट पर 28 पर्सेंट मतदाता ऐसे हैं जो यूपी और बिहार यानी पूर्वांचल से आते हैं. ऐसे में दो पूर्वांचलियों की यह लड़ाई और रोमांचक हो गई है. कन्हैया कुमार 10 साल की एंटी इन्कम्बेंसी का फायदा उठाने की कोशिश जरूर करेंगे. वहीं, मनोज तिवारी कन्हैया कुमार के JNU विवाद को कुरेदकर उनकी छवि पर सीधा हमला करते नजर आने वाले हैं.
बता दें कि अभी तक इस सीट पर कुल 3 बार चुनाव हुए हैं. पहली बार 2009 में कांग्रेस के जे पी अग्रवाल यहां से चुनाव जीते थे. उसके बाद मनोज तिवारी ने 2014 और 2019 में जीत हासिल की और तीसरी बार भी मैदान में हैं.