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Lucknow Lok Sabha Seat: लखनऊ में जारी रहेगा BJP का राज या रविदास बनाएंगे इतिहास?

Lucknow Hot Seat: यूपी की राजधानी लखनऊ से राजनाथ सिंह लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं. उनका मुकाबला सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा से है.

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Lucknow Lok Sabha Seat
Courtesy: India Daily Live

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की लोकसभा सीट हमेशा से प्रदेश और देश की सबसे चर्चित सीटों में से एक रही है. इस सीट से लगातार 8 बार चुनाव जीत चुकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इसे अपनी सबसे सेफ सीट मानकर चलती है. यही कारण है कि देश के मौजूदा रक्षामंत्री और बीजेपी के शीर्ष नेताओं में से एक राजनाथ सिंह यहां से लगातार तीसरी बार चुनाव में उतर रहे हैं. राजनाथ सिंह से पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से ही लगातार पांच बार चुनाव जीतते रहे और संसद पहुंचते रहे थे. तमाम कोशिशों के बावजूद विपक्ष यहां अपनी दाल गलाने में कामयाब नहीं हो पाया है.

इस बार राजनाथ सिंह को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में आई है. सपा ने यहां से अपने मौजूदा विधायक रविदास मेहरोत्रा को चुनाव में उतार दिया है. रविदास मेहरोत्रा 2022 में लखनऊ सेंट्रल विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे. सपा की सरकार में मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा लखनऊ के स्थानीय नेता हैं और दो बार विधायक बन चुके हैं. ऐसे में सपा ने नए सिरे से समीकरणों को मांजने की कोशिश की है.

राजनाथ का दावा कितना मजबूत?

देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बीते 10 साल में लखनऊ में खूब सक्रिय रहे हैं. वह खुद भी लखनऊ जाते रहे हैं. बीजेपी भी उनको खूब अहमियत देती रही है और लखनऊ की विधानसभा सीटों के टिकट और मेयर चुनाव तक में उन्हीं की चलती रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ लोकसभा सीट की पांच विधानसभा सीटों में से तीन पर बीजेपी ने ही जीत हासिल की थी. हालांकि, आशुतोष टंडन के निधन के कारण लखनऊ ईस्ट सीट पर अब उपचुनाव भी हो रहे हैं.

2019 और 2014 के चुनाव परिणामों को देखें तो इस सीट पर राजनाथ सिंह का मजबूत नजर आता है. इन दोनों ही चुनाव में राजनाथ सिंह अपने प्रतिद्वंद्वी से दोगुना वोट पाकर चुनाव जीतते रहे हैं. 2019 में सपा ने शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को यहां से चुनाव लड़ाथा जिन्हें बसपा का भी समर्थन प्राप्त था. वहीं, कांग्रेस की ओर से आचार्य प्रमोद कृष्णम मैदान में थे. इस बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन है जिससे सपा को उम्मीदें हैं कि वह राजनाथ को नए सिरे से चुनौती दे पाएगी.

क्या है जातिगत समीकरण?

इस चुनाव में PDA का नारा दे रही सपा का मानना है कि मुस्लिम और ओबीसी के साथ-साथ इस बार उसे SC-ST और अन्य वर्गों का भी खूब वोट मिलेगा. लखनऊ सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 18 पर्सेंट है. वहीं, SC कैटगरी के भी 18 पर्सेंट मतदाताओं के साथ-साथ 28 फीसदी ओबीसी मतदाता चुनाव को किसी भी दिशा में मोड़ सकते हैं. यही वजह है कि सपा ने चतुराई से रविदास मेहरोत्रा को चुनाव में उतारा है.

कौन-कौन बना लखनऊ का सांसद?

दिग्गजों की सीट रही लखनऊ पर 1952 में पहला चुनाव पंडित नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित सांसद बनीं. उनके बाद श्योराजपति नेहरू, पुलिन बिहारी बनर्जी और बी के धाओन कांग्रेस के टिकट पर जीते. इसी सीट से शीला कौल और हेमवनती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज नेता भी सांसद बने. 1991 में लखनऊ से पहली बार सांसद बने अटल बिहारी वापजेपी 2009 तक लगातार सांसद रहे. 2009 में लाल जी टंडन यहां से सांसद बने और उनके बाद से राजनाथ सिंह यहां से चुनाव जीत रहे हैं.