Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान जोरों पर है. तमाम पार्टियां अपने-अपने तरीके से वोटों का समीकरण साधने में जुटी हैं. इसी कड़ी में आज हम उत्तर प्रदेश के उस संसदीय सीट की चर्चा करने जा रहे हैं जो छोटे सरकार और बड़े सरकार की दरगाह की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है. बदायूं लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी की बीच माना जा रहा है. इस सीट से बीजेपी ने कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और वर्तमान सांसद संघमित्रा मौर्य की टिकट काट कर दुर्विजय शाक्य को मैदान में उतारा है. वहीं समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को लेकर तक सस्पेंस बना हुआ है.
समाजवादी पार्टी ने बदायूं सीट से 2019 के अपने उम्मीदवार और इस सीट से पूर्व सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को टिकट न देकर शिवपाल यादव को चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन शिवपाल यादव ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और इस सीट से अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़ाने की अपील की. इसके लिए शिवपाल ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक प्रस्ताव भी भेजा है.
राजनीति के जानकारों का कहना है कि शिवपाल यादव जहां अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित हैं वहीं इस सीट से दो बार के सांसद रह चुके धर्मेंद्र यादव के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी की वजह से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. हालांकि बदायूं समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. 1996 से 2014 तक बदायूं लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. समाजवादी की ओर से पहले सलीम इकबाल शेरवानी और फिर धर्मेंद्र यादव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने एसपी को जोर का झटका देते हुए इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया.
राज्य के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी सांसद संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र यादव को 20,000 हजार से ज्यादा वोटों हराया दिया. इसके बाद अखिलेश यादव ने रणनीति बदलते हुए यहां से दो बार के सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया, जबकि अपने चाचा शिवपाल यादव को यहां से चुनावी टिकट दिया.
लेकिन अब शिवपाल यादव चाहते हैं कि वो नहीं बल्कि उनके बेटे आदित्य यादव यहां से लोकसभा चुनाव लड़ें. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही समाजवादी पार्टी बदायूं सीट पर आदित्य के नाम का ऐलान करे. शिवपाल यादव ने कहा कि चार विधानसभा सम्मेलन में इस सीट से आदित्य के चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा गया है, ऐसे में वो अपना नाम वापस लेते हैं.
आदित्य यादव भी लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं. आदित्य का कहना है कि फिलहाल यहां से उनके पिता शिवपाल सिंह यादव प्रत्याशी हैं. पार्टी और राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला जो भी होगा वो सर्वोपरि होगा. उन्हें टिकट मिले या न मिले आदित्य वो बदायूं में प्रचार करते रहेंगे.
वहीं धर्मेंद्र यादव भी चाचा शिवपाल की जगह आदित्य यादव को टिकट देने का समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर यहां से चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें खुशी होगी और पार्टी की यहां से ऐतिहासिक वोटों के अंतर से जीतेगी. अब गेंद अखिलेश यादव के पाले में है और उनके फैसले का सभी को इंतजार है.